हम अक्सर दूसरों की तलाशी लेते हैं, अपनी नहीं. जिस दिन हम अपनी तलाशी लेना सीख जाएंगे, ज़िंदगी खुद ब खुद हीरा बन जाएगी. ये हीरा तो कुछ भी नहीं. ये पत्थर है. लेकिन जीवन रूपी हीरा अगर मिल गया तो फिर समझो की किसी और चीज की तलाश ही नहीं.