1. भारत या भारत से बाहर के सर्विस प्रोवाइडर, जो भारत में एनक्रिप्शन टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर रहे हैं, उनके लिए सरकार से यह समझौता करना अनिवार्य होगा.
2. वॉट्सएप पर कई 'स्ट्रिक्टली अनऑफिशियल' ग्रुप भी चल रहे हैं. 90 दिन तक सेव रखने की यह नीति ऐसे सभी गैर-आधिकारिक या निजी संदेशों पर भी लागू होगी.
3. यह नीति अपने मौजूदा स्वरूप में लागू होती है और वॉट्सएप, गूगल या आईमैसेज यह समझौता नहीं करते हैं तो उन्हें गैरकानूनी या अवैध ठहराया जा सकता है.
4. आप 90 दिन से पहले एनक्रिप्टेड मैसेज डिलीट कर देते हैं तो इसे गैरकानूनी माना जाएगा. किसी सरकारी एजेंसी के मांगने पर आपको प्लेन टेक्स्ट दिखाना होगा.
5. बिजनेस में भी एनक्रिप्टेड मैसेज और अपने सारे कम्यूनिकेशन की प्लेन टेक्स्ट सेव रखने होंगे. मांगने पर अपना एनक्रिप्शन पासवर्ड सरकार से साझा करना होगा.
6. सरकार ही तय करेगी कि कैसा एनक्रिप्शन प्रोडक्ट इस्तेमाल किया जाए. यानी यदि आपके पसंदीदा एप ने दूसरा एनक्रिप्शन इस्तेमाल किया तो वह अवैध हो जाएगा.
7. हर एप को इसके लिए बनी सरकारी एजेंसी में रजिस्ट्रेशन और अपने एनक्रिप्शन सॉफ्टवेयर या हार्डवेयर की वर्किंग कॉपी एजेंसी में जमा कराना अनिवार्य होगा.
8. 2010 में भी सरकार ने कहा था कि वह BBM (ब्लैकबेरी मैसेंजर सर्विस) को भारत में बैन कर देगी. तब उसे भी सरकार से ऐसा ही समझौता करना पड़ा था.
9. विशेषज्ञ इस पॉलिसी को खतरनाक बता रहे हैं, क्योंकि इससे एनक्रिप्टेड मैसेज तक हैकरों की पहुंच आसान हो जाएगी और लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ेगा.
10. ज्यादातर यूजर्स को यह मालूम ही नहीं होता कि उनका प्लेन टेक्स्ट कब एनक्रिप्टेड मैसेज में बदल जाता है और वे उसका इस्तेमाल करने लगते हैं.
क्या होता है एनक्रिप्शन
एनक्रिप्शन एक तरह का ताला है, जिसके भीतर आपका डाटा सबसे ज्यादा सुरक्षित रहता है. किसी एनक्रिप्टेड फाइल को आप तभी पढ़ सकते हैं जब आपके पास उसका पासवर्ड हो. उस पासवर्ड के से यह डीक्रिप्ट होकर प्लेन टेक्स्ट में बदलता है. स्मार्ट कार्ड, सिम कार्ड सभी एनक्रिप्शन का इस्तेमाल करते हैं.