पिछले साल लगातार चोटिल होने के चलते संन्यास लेने की सोचने लगी थी सायना नेहवाल. हाल में संपन्न हुए बैडमिंटन विश्व चैम्पियनशिप में रजत पदक जीत कर लौटी सायना ने इस बात का खुलासा किया. इस दौरान उन्होंने इस टूर्नामेंट में जीत का पूरा श्रेय अपने कोच यू विमल कुमार दिया. सायना ने कहा कि कोच विमल कुमार ने उन्हें मुश्किल दौर से निकलने में बहुत मदद की और उनके करियर को नई ऊर्जा दी.
2013 में पैर के अंगूठे में लगी चोट के कारण सायना का प्रदर्शन बुरी तरह प्रभावित रहा और पिछले वर्ष पैर में लगी चोट के कारण ग्लासगो में हुए राष्ट्रमंडल खेलों में भी हिस्सा नहीं ले सकी थीं.
लगातार गिरते खेल की वजह से सायना नेहवाल ने अपना कोच बदलने का निर्णय लिया और अपने पूर्व कोच विमल कुमार के मार्गदर्शन में बंगलुरु के प्रकाश पादुकोण अकादमी चली गईं. सायना ने मंगलवार एक इंटरव्यू में कहा, ‘मैं पिछले वर्ष संन्यास लेने के बारे में सोचने लगी थी, क्योंकि मैं अपने प्रदर्शन के कारण हताश हो गई थी. मैं अपने खेल से खुश नहीं थी. मैं उससे बाहर निकलने का रास्ता भी नहीं ढूंढ पा रही थी. मेरे लिए यह चुनौतीपूर्ण होता जा रहा था, क्योंकि मैं एक विश्व स्तरीय खिलाड़ी थी.’
ओलम्पिक में कांस्य पदक विजेता सायना ने कहा, ‘मैं बिना लड़े हार मानने वाली खिलाड़ी नहीं हूं. ऐसे समय में विमल सर उबेर कप के लिए मेरे साथ जुड़े. उन्होंने मेरे खेल पर काम किया और उसके बाद से मैंने जीतना शुरू कर दिया और उसके बाद ऑस्ट्रेलियन ओपन खिताब जीता.’
दूसरी विश्व वरीयता प्राप्त सायना जकार्ता में पिछले सप्ताह संपन्न हुए विश्व चैम्पियनशिप के फाइनल में सर्वोच्च वरीय स्पेन की कैरोलीन मारिन के हाथों हार गईं और उन्हें रजत पदक से संतोष करना पड़ा. हालांकि सायना ने विश्व चैम्पियनशिप में भारत को पहला रजत पदक दिलवाया.