बोर्ड के पूर्व सचिव जयवंत लेले ने महेंद्र सिंह धोनी द्वारा एक स्पोर्ट कंपनी में 15 प्रतिशत की हिस्सेदारी का विरोध किया है. लेले के मुताबिक, धोनी ने बोर्ड को पहले बताना चाहिए था. उन्होंने धोनी पर चयनकर्ताओं पर प्रभाव डालने का भी आरोप लगाया.
जयवंत लेले ने धोनी की स्पोर्ट कंपनी के बारे में कहा कि यह क्रिकेट के लिए अच्छा है या नहीं, वह चर्चा का विषय है, मगर इसमें सीधे-सीधे कन्फलिक्ट ऑफ़ इन्टरेस्ट तो है ही है. धोनी तीनों फोर्मेट में भारतीय टीम के कप्तान हैं.
ऐसे में उनकी स्पोर्ट कंपनी द्वारा सुरेश रैना, रविन्द्र जडेजा, आर पी सिंह और प्रज्ञान ओझा को टीम में शामिल करने के लिए भी दबाव भी बनाया गया हो सकता है. सबसे बड़ी बात तो यह है की बतौर कप्तान क्या यह धोनी का नैतिक फर्ज नहीं है कि बोर्ड को सूचित करें?
लेले ने कहा, 'मेरे हिसाब से इसमें धोनी द्वारा बोर्ड को सूचित किया जाना चाहिए था और यह उनकी नैतिक जिम्मेदारी बनती है. अभी चार खिलाड़ी तो इनकी ही फर्म के साथ जुड़े हैं तो चयनकर्ताओं पर भी निश्चित तौर पर उनको शामिल करने का दबाव धोनी ने बनाया होगा.'