दिल्ली हाईकोर्ट ने आज कहा कि देश के कई खेल निकायों में काफी गड़बड़ है और इनमें से अधिकतर का संचालन ऐसे व्यक्ति कर रहे हैं जिनका खेलों से कोई लेना देना नहीं है, जिससे आम जनता का उनसे विश्वास उठ गया है.
न्यायमूर्ति मनमोहन ने कहा कि कृपया अपने घरों (खेल संघों) में सुधार कर लो. मैं नियमित तौर पर कई मामलों की सुनवाई कर रहा हूं. खेल निकायों में अब कोई विश्वास नहीं रह गया है. उन्होंने कहा कि इनमें इतना गड़बड़झाला इसलिए है क्योंकि वे लोग इनको चला रहे हैं जिनका खेलों से कोई लेना देना नहीं है.
अदालत भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई), पंजाब कुश्ती संघ और छत्तीसगढ़ कुश्ती संघ से जुड़ी याचिका पर सुनवाई कर रही थी. अदालत ने कहा कि यह नहीं हो सकता कि जिन व्यक्तियों ने कभी खेल नहीं खेला हो वह खेल निकायों के पदों पर आसीन हो. ऐसे निकायों में कम से कम एक ऐसा व्यक्ति अध्यक्ष और उपाध्यक्ष होना चाहिए जिसने राज्य स्तर पर खेल खेला हो.
पीठ ने इसके साथ ही कहा कि वह कुछ मसलों को विधि आयोग के सुझाव के लिये भेज सकता है ताकि खेल निकायों का प्रतिनिधित्व खिलाड़ी कर सकें. खेल निकायों से जुड़े मसलों को शिक्षित व्यक्ति और कारपोरेट प्रभावी ढंग से निबटा सकते हैं, इस बारे में पीठ ने कहा, हां, खिलाड़ियों को प्रशासक बनाने के लिये न्यूनतम अर्हता का प्रावधान होना चाहिए.
इस बीच अदालत ने खेल मंत्रालय, भारतीय कुश्ती महासंघ और उसके अध्यक्ष बृज भूषण शरण सिंह को पंजाब के पूर्व पहलवान करतार सिंह की याचिका पर नोटिस जारी किए हैं.