पूर्व अंतरराष्ट्रीय अंपायर डैरेल हेयर ने कहा है कि आईसीसी ने संदिग्ध एक्शन वाले गेंदबाजों पर सख्ती बहुत देर से शुरू की है. उनके मुताबिक यह सख्ती 20 साल पहले ही होनी चाहिए. वह मानते हैं कि इसमें देरी की वजह से 'चकर्स' की एक पूरी पीढ़ी ही तैयार हो गई है.
हेयर ही वह अंपायर थे जिन्होंने सबसे पहले 1995 में मेलबर्न टेस्ट के दौरान श्रीलंकाई ऑफ स्पिनर मुथैया मुरलीधरन के एक्शन पर सवाल उठाए थे.
हेयर ने ऑस्ट्रेलियाई अखबार सिडनी मॉर्निंग हेराल्ड से कहा, 'वे जो भी कर रहे हैं, 20 साल देरी से कर रहे हैं. 1995 में उनके पास चीजें ठीक करने का मौका था. लेकिन उन्होंने 19 साल लिए वापस इस मुद्दे पर आने के लिए. मुझे नहीं लगता कि सईद अजमल इतने लंबे समय तक गेंदबाजी कर पाते. और अब वे कहते हैं कि वह अपनी बांह 45 डिग्री या उसके आस-पास मोड़ता है (सिर्फ 15 डिग्री बांह मोड़ने की इजाजत है). हर आदमी और उसका कुत्ता भी इस बारे में जानता होगा.'
उन्होंने कहा कि इससे समय के साथ अंपायरों के भी कमजोर होते जाने का पता चलता है. याद रहे कि इस साल जुलाई से आईसीसी एक के बाद एक कई गेंदबाजों पर संदिग्ध एक्शन के लिए प्रतिबंध लगा चुका है. इनमें श्रीलंकाई गेंदबाज सचित्र सेनानायके, पाकिस्तान के सईद अजमल, न्यूजीलैंड के केन विलियमसन, जिम्बाब्वे के प्रॉस्पर उत्सेया और बांग्लादेश के सोहाग गाजी जैसे नाम हैं.
चैंपियंस लीग टी-20 के समय सुनील नरेन, मोहम्मद हफीज, अदनान रसूल, सूर्यकुमार यादव और प्रेनेलन सुब्राएन को भी संदिग्ध एक्शन के लिए रिपोर्ट किया गया. सितंबर में बांग्लादेश के विंडीज दौरे के दौरान बांग्लादेशी तेज गेंदबाज अल-अमीन हुसैन को भी संदिग्ध एक्शन के लिए रिपोर्ट किया गया.