भारतीय हॉकी में नए विवाद से आहत महान ओलंपियन बलबीर सिंह सीनियर ने कहा है कि बार-बार कोच बदलने से टीम के प्रदर्शन पर गलत असर पड़ेगा खासकर जबकि रियो ओलंपिक महज एक साल दूर रह गया है.
'बार-बार कोच बदलना सही नहीं'
तीन बार ओलंपिक गोल्ड मेडलिस्ट (लंदन 1948, हेलसिंकी 1952 और मेलबर्न 1956) टीम का हिस्सा रहे बलबीर ने कहा, 'अगर हम बार-बार कोच बदल रहे हैं तो कुछ जरूर गलत है जिसका खराब असर पड़ेगा और मैदान पर खिलाड़ियों का प्रदर्शन निश्चित तौर पर बाधित होगा.' भारतीय पुरुष हॉकी टीम के मुख्य कोच पॉल वान ऐस ने इस सप्ताह यह कहकर नए विवाद को जन्म दे दिया कि हॉकी इंडिया के अध्यक्ष नरिंदर बत्रा के साथ खुलेआम तीखी बहस के बाद उन्हें बर्खास्त कर दिया गया है.
'विदेशी कोच का सम्मान किया जाना चाहिए'
वर्ल्ड कप 1975 विजेता भारतीय टीम के मुख्य कोच और मैनेजर रहे बलबीर ने कहा कि विदेशी कोचों का सम्मान किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा, 'अगर हम भारतीय कोच की सेवाएं नहीं लेते हैं और विदेशी कोच को बुलाते हैं तो उसका सम्मान करके उसे उचित मौका दिया जाना चाहिए क्योंकि उसकी अपनी साख भी इससे जुड़ी होती है.'
'लंबे समय से नहीं रहा है कोई भारतीय कोच'
उन्होंने आगे कहा, 'वैसे भी टूर्नामेंट के दौरान खेल के तकनीकी पहलू में प्रशासन का कोई दखल नहीं होना चाहिए. पिछले कुछ साल में हॉकी इंडिया ने भारी तनख्वाह पर विदेशी कोचों की नियुक्तियां की है. आखिरी बार भारतीय कोच जोकिम कार्वाल्डो थे जिनका एक साल का कार्यकाल 2008 में खत्म हो गया. उसके बाद चार विदेशी कोच जोस ब्रासा, माइकल नोब्स, टैरी वाल्श और अब पॉल की विवादित और समय से पहले वापसी हो गई है.'
'पॉल को बनाए रखना चाहिए कोच'
बलबीर ने हालांकि कहा कि पॉल को वापसी के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा, 'अभी भी ओलंपिक में एक साल बाकी है. हॉकी इंडिया अध्यक्ष ने कहा है कि पॉल वान ऐस अभी भी कोच है लिहाजा उन्हें वापसी के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए. उन्हें कम से कम ओलंपिक तक कोच बनाए रखना चाहिए.' उन्होंने कहा, 'इसी तरह के हालात 1975 में भी पैदा हुए थे लेकिन हमारे साझा प्रयासों और कड़ी मेहनत से हमने वर्ल्ड कप जीता.'
'सबकुछ भूलकर खेलो'
ओलंपिक में अच्छे प्रदर्शन के लिए टीम को क्या टिप्स देंगे, यह पूछने पर भारत के सबसे कामयाब ओलंपियनों में शुमार बलबीर ने कहा कि खिलाड़ियों को मैदान के बाहर के घटनाक्रम को भुलाकर मैदान के भीतर प्रदर्शन पर फोकस करना चाहिए. उन्होंने कहा, 'आपको भरोसा है कि आप लक्ष्य हासिल कर सकते हैं तो आपको कोई नहीं रोक पाएगा. अपने लक्ष्य तय करके उन्हें हासिल करने के लिए सब कुछ झोंक दो. बाहर के सारे घटनाक्रम को भुलाकर खेलो.'
ओलंपिक में किसी एक खिलाड़ी द्वारा एक मैच में सर्वाधिक गोल करने का रिकॉर्ड आज भी बलबीर के नाम है जिन्होंने 1952 हेलसिंकी ओलंपिक में नीदरलैंड के खिलाफ फाइनल में भारत को 6-1 से मिली जीत में पांच गोल किए थे. उन्होंने कहा, 'मेरी शुभकामनाएं टीम के हर सदस्य के साथ है. मैं यही कहूंगा कि सकारात्मक सोचो और कड़ी मेहनत करो. शीर्ष का स्थान हमेशा खाली है.'