भारतीय टेनिस संघ (एआईटीए) ने आयु में धोखाधड़ी के मुद्दे से निपटने के लिए तीन सदस्यीय समिति का गठन किया है, लेकिन धोखाधड़ी के मामलों को साबित करने के लिए साक्ष्य मुहैया कराने की जिम्मेदारी शिकायतकर्ता पर ही डाल दी है. कई परिजनों ने आरोप लगाया था कि आयु वर्ग की राष्ट्रीय चैंपियनशिप में अधिक उम्र के खिलाड़ी खेलते हैं जिससे पात्र बच्चों को बराबरी के स्तर पर प्रतिस्पर्धा पेश करने का मौका नहीं मिल पाता.
कैसे निपटेंगे आयु की धोखाधड़ी से?
पिछले महीने डीएलटीए में राष्ट्रीय हार्ड कोर्ट प्रतियोगिता के दौरान 50 से अधिक माता-पिता ने एआईटीए को पत्र लिखकर विभिन्न आयु वर्ग टूर्नामेंट में हिस्सा ले रहे अधिक उम्र के खिलाड़ियों के खिलाफ कार्वाई करने की मांग की थी. एआईटीए ने हाल में अपनी कार्यकारी समिति की बैठक में समिति के गठन का फैसला किया और पुनीत गुप्ता, पीएफ मोंटेस और विवेक शर्मा को इसका सदस्य बनाया है. हालांकि एआईटीए के नोट के अनुसार, आयु की संभावित धोखाधड़ी के संदर्भ में कोई भी शिकायत संबंधित साक्ष्यों और जमानत के रूप में 2000 रुपये के ड्राफ्ट के साथ इस समिति को भेजी जाएगी जिससे कि समिति आगे की कार्वाई कर सके.
साक्ष्य मुहैया कराने की जिम्मेदारी शिकायतकर्ता की
यह पूछने पर कि एआईटीए ने साक्ष्य मुहैया कराने की जिम्मेदारी माता-पिता या किसी शिकायतकर्ता पर क्यों डाली है तो महासंघ के महासचिव हिरॉनमॉय चटर्जी ने पीटीआई से कहा कि यह सुनिश्चित करने के लिए कि हमारे पास वास्तविक शिकायतें ही आएं. उन्होंने कहा, 'अगर हम ऐसा नहीं करेंगे, तो प्रत्येक माता-पिता जिसका बच्चा मैच हारेगा वह हमारे पास आएगा और शिकायत करेगा कि विजेता अधिक उम्र का है. ऐसा चलता रहेगा और हमारे पास असंख्य शिकायतें होंगी. हम सिर्फ वास्तविक शिकायत चाहते हैं और हम उनकी समीक्षा के लिए तैयार हैं.'
शिकायतों पर 2000 रुपये की फीस लेने के संदर्भ में एआईटीए अधिकारी ने कहा, 'यह लंबी प्रक्रिया है. हमें संबंधित अधिकारियों के समक्ष इस मुद्दे को उठाना होगा और साथ ही इससे बेमतलब की शिकायतों को रोकने का काम करेगा. हमारे पास केवल वास्तविक शिकायतें पहुंचेंगी. इस समस्या से निपटने के जरूरी दिशानिर्देशों के लिए एआईटीए ने भारतीय खेल प्राधिकरण साई को भी पत्र लिखा है.'