वर्ल्ड कप जीतना किसी भी क्रिकेटर के लिए सपने जैसा है. सौरव गांगुली की कप्तानी में 2003 में हम फाइनल में पहुंच कर चूक गए पर 2011 में सचिन तेंदुलकर नहीं चूके. दोनों की जुबानी जानें इस सपने की कहानी.