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जब ओपनिंग कर धोनी ने जड़ी डबल सेंचुरी

टीम इंडिया के कैप्टन कूल एम एस धोनी को निडर कप्तान के रूप में जाना जाता है और वो एक्सपेरिमेंट करने से कभी कतराते नहीं हैं. लेकिन यह क्वालिटी उनके अंदर कप्तान बनने के बाद नहीं आई बल्कि वो स्कूल के दिनों से ही ऐसे हैं.

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File photo: एमएस धोनी
File photo: एमएस धोनी

टीम इंडिया के कैप्टन कूल एम एस धोनी को निडर कप्तान के रूप में जाना जाता है और वो एक्सपेरिमेंट करने से कभी कतराते नहीं हैं. लेकिन यह क्वालिटी उनके अंदर कप्तान बनने के बाद नहीं आई बल्कि वो स्कूल के दिनों से ही ऐसे हैं.

एक बार स्कूल मैच के दौरान धोनी ने अपने पीटी टीचर के खिलाफ बगावत कर दी थी, मामला टूर्नामेंट के फाइनल मैच में पारी की शुरुआत करने का था. धोनी ने पारी का आगाज किया तो नाबाद 213 रन बनाकर पवेलियन लौटे थे.

इस बात का खुलासा धोनी की बॉयोग्राफी 'एमएसडी- द मैन, द लीडर’ में किया गया है. इस किताब को जर्नलिस्ट विश्वदीप घोष ने लिखा है, जिसमें धोनी के रांची के बचपन के दिनों से लेकर भारतीय क्रिकेट की कप्तानी तक का सफर दिखाया गया है.

मामला कुछ यूं था कि धोनी 1997 में डीएवी जवाहर विद्या मंदिर की ओर से अंतर स्कूल प्रतियोगिता के फाइनल में हिनू में स्थित केंद्रीय विद्यालय के खिलाफ खेल रहे थे और पारी की शुरुआत करना चाहते थे लेकिन उनके टीचर केशव रंजन बनर्जी बल्लेबाजी क्रम के साथ कोई छेड़छाड़ करना नहीं चाहते थे, लेकिन आखिरकार बनर्जी मान गए और धोनी ने पारी की शुरुआत करते हुए नाबाद 213 रन बनाये थे.

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ऐसा ही कुछ धोनी ने 2011 वर्ल्ड कप के फाइनल मैच में भी किया था, फॉर्म से बाहर चल रहे धोनी अपने दिल की आवाज सुनते हुए श्रीलंका के खिलाफ भी बल्लेबाजी क्रम में पांचवे नंबर पर उतरे थे और वर्ल्ड कप साथ लेकर ही पवेलियन लौटे. धोनी अपने अजीबो गरीब फैसलों से हमेशा विरोधियों के निशाने पर रहे हैं, लेकिन धोनी की रणनीति हमेशा काम आई है और शायद इसी वजह से वह क्रिकेट के सबसे अच्छे फिनिशर में से एक माने जाते हैं.

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