महाराष्ट्र में गुरुवार को नई सरकार का गठन होने जा रहा है. विधानसभा चुनाव के बाद एक साथ आने वाली एनसीपी, कांग्रेस और शिवसेना की गठबंधन सरकार के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे मुंबई के शिवाजी पार्क में शपथ लेंगे. दादर स्थित शिवाजी पार्क न सिर्फ राजनीतिक और सामाजिक समारोहों की वजह से अपना ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व रखता है, बल्कि 113,000 वर्ग मीटर (28 एकड़) में फैला यह मैदान भारतीय क्रिकेट के पालने (Cradle of Indian Cricket) के रूप में भी जाना जाता है, जहां से शुरू कर कई खिलाड़ियों ने उन ऊंचाइयों को हासिल किया, जिन्हें पूरी दुनिया ने सलाम किया.
यही वह शिवाजी पार्क है, जहां रमाकांत आचरेकर ने पांच दशक तक क्रिकेट के जुनूनी लड़कों को क्रिकेट का ककहरा सिखाया. इसी शिवाजी पार्क में गुरु आचरेकर ने अपने सबसे प्रिय शिष्य सचिन तेंदुलकर को क्रिकेट का ज्ञान दिया. सचिन ने 2016 में इस ट्विटर पर अपनी एक तस्वीर शेयर की थी, जिसमें वह शिवाजी पार्क में खड़े दिख रहे हैं. तब भावुक हुए सचिन ने कैप्शन लिखा था- वापस वहीं, जहां से मैंने शुरू किया था...
Back to where I started... Nostalgia! Filming for something very close to my heart! Watch this space for more. pic.twitter.com/BzwlXY6VBW
— Sachin Tendulkar (@sachin_rt) February 8, 2016
शिवाजी पार्क से शुरू कर क्रिकेट के भगवान बने सचिन तेंदुलकर जिस दिन (14 नवंबर 2013, विरुद्ध वेस्टइंडीज) वानखेड़े स्टेडियम में अपने करियर का आखिरी टेस्ट खेलने उतरने वाले थे, उस दिन भी यह पार्क खिलाड़ियों को गढ़ने में लगा था. एक तरफ सचिन संन्यास ले रहे थे और शिवाजी पार्क में इकट्ठे चार मैच चल रहे थे. यानी इस पार्क में क्रिकेट कभी नहीं रुकता. तेंदुलकर भी कभी नहीं चाहेंगे कि इस मैदान पर क्रिकेट एक दिन के लिए रुक जाए. शिवाजी पार्क हर दिन यह उम्मीद करता है कि अगला तेंदुलकर इसी मैदान से उभरेगा.

इस शिवाजी पार्क ने न सिर्फ सचिन तेंदुलकर को उभारा, बल्कि सुनील गावस्कर, अजीत वाडेकर, विजय मांजरेकर, एकनाथ सोल्कर, दिलीप वेंगसरकर, संदीप पाटिल, चंद्रकांत पंडित, अजीत अगरकर, प्रवीण आमरे, विनोद कांबली, संजय मांजरेकर जैसे क्रिकेटरों ने विश्व क्रिकेट में अपनी छाप छोड़ी.
शिवाजी पार्क क्रिकेट के लिए जाना जाता हो, लेकिन फुटबॉल की प्रतिभाएं भी यहां तराशी जाती हैं. आदर्श एफसी, दादर इलेवन, डायस यूनाइटेड स्पोर्ट्स जैसे क्लब के खिलाड़ी यहां पसीना बहाते हैं. इस मैदान पर न सिर्फ क्रिकेट के नेट्स लगे मिलते हैं, बल्कि टेनिस कोर्ट के अलावा अन्य खेलों से जुड़े खिलाड़ी भी इस मैदान पर खुद को आजमाते हैं.
ब्रिटिश शासन के दौरान 1925 में शिवाजी पार्क अस्तित्व में आया. 1927 तक इसे माहिम पार्क के नाम से जाना जाता था. शिवाजी पार्क जिमखाना, जिसे तब दादर हिंदू जिमखाना के रूप में जाना जाता था, ने 1927 में इस मैदान पर पहला टेनिस कोर्ट बनाया और नवंबर 1931 में अपने पवेलियन का उद्घाटन किया था.