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सचिन की बेटी सारा तेंदुलकर क्यों नहीं बनीं क्रिकेटर? इस वजह से चुना अलग रास्ता, VIDEO

सारा तेंदुलकर ने बचपन में ऑस्ट्रेलिया में बिताए पलों को याद किया. उन्होंने बताया कि पिता सचिन तेंदुलकर के क्रिकेट दौरों की वजह से ऑस्ट्रेलिया उनकी यादों का अहम हिस्सा रहा. सिडनी में नए साल की रातें भारतीय टीम के साथ बिताना और मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड पर मैच देखना उनके लिए खास रहा.

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 सारा तेंदुलकर अपनी अलग पहचान बनाने की राह पर  (Instagram- @saratendulkar)
सारा तेंदुलकर अपनी अलग पहचान बनाने की राह पर (Instagram- @saratendulkar)

सारा तेंदुलकर का बचपन ऑस्ट्रेलिया की यादों से भरा रहा है. ये यादें किसी छुट्टियों या सैर-सपाटे की नहीं, बल्कि उनके पिता सचिन तेंदुलकर के क्रिकेट दौरों की थीं. पापा के मैचों की वजह से घर से दूरियां जरूर थीं, लेकिन ऑस्ट्रेलिया जाकर परिवार के साथ बिताए पल उनकी जिंदगी का अहम हिस्सा बन गए.

सालों बाद, वही सारा तेंदुलकर अपनी अलग पहचान बनाने की राह पर हैं. वह टूरिज्म ऑस्ट्रेलिया के ‘Come and Say G’day’ कैंपेन का चेहरा बनी हैं. उनके लिए यह सिर्फ एक ब्रांड एसोसिएशन नहीं, बल्कि उन अनगिनत भावनाओं और यादों को फिर से जीने जैसा है, जिनसे उनका बचपन जुड़ा था.

27 साल की सारा बताती हैं, 'पापा को हम बहुत कम देख पाते थे क्योंकि वो हमेशा क्रिकेट टूर पर रहते थे. लेकिन जब हम ऑस्ट्रेलिया जाते, तो हमें बहुत खुशी होती थी. वहां पापा के साथ बिताए लम्हे हमारे लिए अनमोल थे. नए साल की रातें सिडनी में पूरी टीम के साथ नाव पर बिताना, वो पल मैं कभी नहीं भूल सकती.'

'मैंने गली क्रिकेट जरूर खेला, लेकिन...'

बचपन में मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड (MCG) उनके लिए बस एक मैदान था. लेकिन पिछले साल जब वह बॉक्सिंग-डे टेस्ट देखने वहां पहुंचीं, तो उन्हें उसकी अहमियत का एहसास हुआ. सारा कहती हैं, 'बचपन में मुझे शायद उसकी महत्ता समझ नहीं आती थी, लेकिन अब जब वहां गई, तो सारी पुरानी यादें लौट आईं.'

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हालांकि, क्रिकेट को लेकर उनका रुख साफ है, 'क्रिकेट मेरे भाई की राह रही है. मैंने गली क्रिकेट जरूर खेला, लेकिन इसे कभी अपना करियर बनाने के बारे में नहीं सोचा.'

सारा के लिए सबसे भावुक पल क्या?

सारा मानती हैं कि उन्होंने पापा की कई ऐतिहासिक पारियां देखी हैं, लेकिन उनके दिल में सबसे गहरी छाप 2013 के रिटायरमेंट मैच की है. वह कहती हैं, 'उस वक्त मैं इतनी बड़ी हो चुकी थी कि समझ सकूं पापा का क्रिकेट छोड़ना क्या मायने रखता है. बचपन में मैं मैच देखने जाती थी, लेकिन असल अहमियत नहीं समझ पाती थी.'

पब्लिक अटेंशन को संभालना आसान नहीं रहा, लेकिन सारा मानती हैं कि उन्हें हमेशा पापा की सीख ने रास्ता दिखाया. पापा ने हमेशा कहा कि आजादी और स्वतंत्रता मिले तो जिम्मेदारी निभाना सीखो. कॉलेज जाने के बाद से ही मैंने इसे जीवन का हिस्सा बना लिया.

आज टूरिज्म ऑस्ट्रेलिया का चेहरा बनने के साथ सारा तेंदुलकर अपनी जिंदगी का नया अध्याय लिख रही हैं. यह उनके लिए अतीत की यादों और नए अवसरों का मिलन है. वह अब सिर्फ सचिन तेंदुलकर की बेटी नहीं, बल्कि अपनी कहानी खुद लिखने वाली नई पहचान हैं.

भारत को तेजी से बढ़ते मार्केट के रूप में देखते हुए पर्यटन बोर्ड ने इस कैंपेन के दूसरे चरण की शुरुआत की है, जिसमें सारा को चुना गया है, क्योंकि उन्होंने ऑस्ट्रेलिया को न सिर्फ देखा, बल्कि जिया भी है.

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