IND vs SL, Saurabh Kumar: श्रीलंका के खिलाफ टी20 एवं टेस्ट सीरीज के लिए शनिवार को टीम इंडिया का ऐलान हुआ था. ऑलराउंडर सौरभ कुमार को भी टेस्ट स्क्वॉड में जगह मिली है. बाएं हाथ के इस खिलाड़ी को घरेलू क्रिकेट में शानदार प्रदर्शन का इनाम मिला है. सौरभ कुमार की जर्नी काफी प्रेरणादायक है.
ट्रेन से प्रैक्टिस के लिए जाते थे सौरभ
सौरभ कुमार उत्तर प्रदेश के बागपत से ताल्लुक रखते हैं. वह ट्रेन से दिल्ली प्रैक्टिस करने जाते थे. ट्रेन से यात्रा करने के दौरान वह लोगों से चेन पुलिंग नहीं करने का आग्रह करते थे. क्योंकि चेन पुलिंग के चलते ट्रेन विलंब हो जाती थी, जिससे उनका दैनिक अभ्यास सत्र प्रभावित होता था. सौरभ के पिता आकाशवाणी में एक जूनियर इंजीनियर, जो चाहते थे कि उनका बेटा एक क्रिकेटर बने.
सौरभ ने एक अंग्रेजी अखबार को दिए गए इंटरव्यू में बताया, 'हमें दिल्ली पहुंचने में ढाई-घंटे लगते थे. सप्ताह में तीन बार मैं सुनीता शर्मा की अकादमी में आता था. मेरे पिता यह सुनिश्चित करने के लिए ओवर-टाइम करते थे कि वह मेरे साथ दिल्ली आएं.'
सौरभ ने आगे बताया, 'मैं बॉल को फ्लाइट, डिप और टर्न कराने में विश्वास करता हूं. मैं ये कैरम-वैरम बॉल नहीं डालता. मुझे यह कभी पसंद नहीं आया. मुझे बॉल को लूप करना और बल्लेबाजों को फ्लाइट के जरिए फंसाना पसंद है.'
बेदी ने सौरभ के टैलेंट को पहचाना
अपने जमाने के मशहूर स्पिनर रहे बिशन सिंह बेदी ने सौरभ कुमार के टैलेंट को पहचाना. इसके बाद उन्होंने इस बाएं हाथ के स्पिनर को अपने छत्र-छाया में लिया, जिसके बाद सौरभ की क्रिकेटिंग जर्नी आकार लेने लगी. सौरभ जूनियर क्रिकेट में उत्तर प्रदेश के लिए खेले, लेकिन रणजी ट्रॉफी टीम में शामिल होना कठिन था. राज्य की टीम में उनके लिए कोई जगह नहीं थी, इसलिए उन्होंने सर्विसेज के लिए एक सत्र (2014-15) क्रिकेट खेला.
भारतीय घरेलू क्रिकेट बाएं हाथ का पारंपरिक स्पिनर दुर्लभ चीज है, लेकिन सौरभ उनमें से एक हैं. 2015-16 में गुजरात के खिलाफ उत्तर प्रदेश के लिए अपने डेब्यू मुकाबले में उन्होंने 10 विकेट लिए थे. इसके बाद इस खिलाड़ी ने पीछे मुड़कर नहीं देखा. वह बल्ले से भी योगदान देने में सक्षम हैं, उन्होंने दो फर्स्ट क्लास शतक और आठ अर्द्धशतक बनाए हैं.