दो बड़ी टीमों पर दो बड़ी जीत दर्ज करने के बाद टीम इंडिया अब एक ऐसे विरोधी के सामने है, जिसकी ना तो कमजोरी टटोली जा सकती है और ना ही जिसकी ताकत का अंदाजा लगाया जा सकता है. वर्ल्डकप में यूएई जैसी टीम हारती रही हैं और जिस ग्रुप में भी इन्हें शामिल किया जाता है उनमें इनकी हार की भविष्यवाणी भी पहले ही कर दी जाती है, लेकिन वर्ल्डकप का इतिहास ये भी कहता है ऐसी टीमें किसी भी दिन मैच का पासा भी पलट सकती हैं. इसलिए यूएई को हल्के में लेने की गलती टीम मैनेजमेंट नहीं करना चाहता. इस मैच से पहले आइये जानते हैं क्यों ये मैच होगा खास.
पर्थ का अर्थ
पर्थ में भारत ने आजतक 4 मैच जीते हैं तो 6 हारे हैं. एक मैच टाई भी रहा, लेकिन फिर भी एडवांटेज टीम इंडिया को ही है, क्योंकि यूएई की टीम ने पर्थ में आज तक एक भी मुकाबला नहीं खेला है. हालांकि भारत भी पिछले महीने खेली गई ट्राईसीरीज में इंग्लैंड के खिलाफ महज 200 रनों पर सिमट गया था. उस सीरीज में वाका मैदान की अनियमित उछाल को लेकर भी काफी बातें हुईं. माना जा रहा है कि पिच का मिजाज अब भी ज्यादा बदलेगा नहीं.
वर्ल्डकप में कभी नहीं भिड़े भारत-यूएई
टीम इंडिया के पास 874 वन-डे मैचों का अनुभव है तो यूएई के पास केवल 20 मैचों का. वर्ल्डकप में भारत ने आज तक 69 मुकाबले खेले हैं तो यूएई ने सिर्फ 7, लेकिन वर्ल्डकप में आज तक दोनों की टक्कर नहीं हुई. इससे पहले भारत और यूएई सिर्फ दो बार आमने सामने हुए हैं. एक बार 1994 में शारजाह में और दूसरी बार 2004 में दांबुला में और दोनो ही मौकों पर भारत ने बड़ी जीत दर्ज की.
भारत बनाम भारतीय
यूएई की टीम में ऐसे दो खिलाड़ी है जो ना सिर्फ भारतीय मूल के हैं, बल्कि भारत के घरेलू क्रिकेट में काफी समय तक सक्रिय भी रहे हैं. पहले है स्वप्निल पाटिल जो मुंबई की अंडर-14, अंडर-16, अंडर-19 और अंडर-22 टीम के लिए क्रिकेट खेल चुके हैं. यही नहीं टीम इंडिया के बल्लेबाज अजिंक्य रहाणे के साथ तो उन्होंने घरेलू क्रिकेट की कई बड़ी साझेदारियां भी की हैं. भारत में ज्यादा मौका ना मिलने पर पाटिल नौकरी करने दुबई चले गए. जहां उन्हें क्रिकेट खेलने का मौका फिर से मिल गया. यूएई की टीम में भारतीय मूल के दूसरे खिलाड़ी है कृष्ण चंद्रन कराटे. कृष्ण चंद्रन भी दिनेश कार्तिक, रॉबिन उथप्पा, स्टूअर्ट बिन्नी और एस श्रीसंत जैसे खिलाड़ियों के साथ मैदान में उतर चुके हैं. केरल की अंडर-19 टीम में खेल चुके कृष्ण चंद्रन भी भारतीय क्रिकेट में ज़्यादा मौका ना मिलने की वजह से दुबई शिफ्ट हो गए थे. जहां क्लब क्रिकेट में उन्होंने अपना नाम बनाया. इन दोनों खिलाड़ियों को भारत के खिलाफ मौका मिलने की पूरी उम्मीद है.
मैदान पर घमासान
भारतीय टीम ने पाकिस्तान और दक्षिण अफ्रीका दोनों के खिलाफ 300 या उससे ज्यादा का स्कोर किया है और इस बार भी भारतीय टीम को बड़ा स्कोर बनाने का मौका मिल सकता है. उधर, यूएई के बल्लेबाज भी खासे रंग में दिखाई दे रहे हैं. आयरलैंड और जिम्बाब्वे दोनों के खिलाफ यूएई के बल्लेबाजों ने 275 से ज्यादा का स्कोर खड़ा किया और दोनों ही मैचों में सामने वाली टीम को संघर्ष करने पर मजबूर भी किया. इसके अलावा यूएई की टीम गेंदबाजी और फील्डिंग में भी जबरदस्त प्रदर्शन कर रही है, ऐसे में टीम इंडिया को सावधान रहने की जरूरत होगी.
छोटी टीमों के बड़े रिकॉर्ड
आखिरी और इकलौती बार भारतीय टीम अगर किसी असोसिएट टीम से वर्ल्डकप में हारी है तो वो थी श्रीलंका की टीम जिसने 1979 वर्ल्डकप के एक मुकाबले में भारत को 47 रन से हरा दिया था. वर्ल्डकप का इतिहास ऐसे मैचों से भरा पड़ा है जहां छोटी टीमों ने बड़ी टीमों को नाकों चने चबवा दिए हैं. 1996 वर्ल्ड कप में केन्या ने वेस्टइंडीज को मात दी तो 1999 वर्ल्डकप में जिम्बाब्वे ने भारत को पटखनी दी थी. 2003 के विश्वकप में केन्या ने श्रीलंका को हराया तो भारत ने केन्या के खिलाफ ही सेमीफाइनल मुकाबला खेला. 2007 विश्वकप में आयरलैंड ने पाकिस्तान को हराकर सनसनी फैला दी थी तो 2011 वर्ल्डकप में इंग्लैंड को पानी पिला दिया था, इस वर्ल्कप में भी आयरलैंड ने वेस्टइंडीज को पटखनी दे डाली. टीम इंडिया इस खतरे को अच्छी तरह पहचानती है और इसलिए टीम इंडिया पूरी ताकत से इस मैच में उतरना चाहेगी.