आईसीसी वर्ल्ड कप-2015 में पूरे टूर्नामेंट के दौरान बल्लेबाजों का दबदबा रहा, लेकिन ऑस्ट्रेलिया की खिताबी जीत में दो गेंदबाज नायक बनकर उभरे. रविवार को मेलबर्न क्रिकेट मैदान (एमसीजी) पर हुए फाइनल मुकाबले में ऑस्ट्रेलिया ने न्यूजीलैंड को सात विकेट से हराकर पांचवीं बार वर्ल्ड कप खिताब पर कब्जा जमाया.
ऑस्ट्रेलिया की जीत के नायक तेज गेंदबाज जेम्स फॉकनर रहे. फॉकनर को उनके उम्दा प्रदर्शन के लिए प्लेयर ऑफ द मैच चुना गया. वहीं टूर्नामेंट में आठ मैच खेलकर 22 विकेट चटकाने वाले ऑस्ट्रेलियाई तेज गेंदबाज मिशेल स्टार्क को प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट अवार्ड प्रदान किया गया.
फाइनल मुकाबले में मैन ऑफ द मैच रहे फॉल्कनर ने न्यूजीलैंड के तीन अहम बल्लेबाजों रॉस टेलर, कोरे एंडरसन और ग्रांट इलियट के विकेट चटका मैच का पासा पलट दिया और न्यूजीलैंड टीम 45 ओवरों में 183 रनों पर सिमट गई.
प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट रहे स्टार्क ने दूसरी ओर पूरे टूर्नामेंट में ऑस्ट्रेलिया की जीत में अहम भूमिका निभाई और 10.2 के औसत से और 3.5 की इकॉनमी रेट से बेहद किफायती गेंदबाजी की. वास्तव में गेंदबाजों को मिले प्रमुख अवॉर्ड से इस वर्ल्ड कप के बारे में सही से नहीं जाना जा सकता, जिसमें पहली बार वह भी दो-दो बल्लेबाजों ने दोहरा शतक लगाने का कारनामा किया.
पूरे वर्ल्ड कप के दौरान दो दोहरे शतक, छह बार 150 से अधिक का स्कोर और कुल 35 शतक लगे. गेंदबाजों की इस वर्ल्ड कप में जमकर धुनाई हुई, इसे इसी बात से समझा जा सकता है कि प्रति मैच लगभग 10 छक्के लगे. स्टार्क और फॉकनर की उम्दा गेंदबाजी के बावजूद क्रिकेट विश्लेषक बल्लेबाजी पर अंकुश लगाने के लिए नियमों में बदलाव की बात कह रहे हैं और बल्ले की चौड़ाई भी कम करने की मांग हो रही है.
भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने भी पिछले सप्ताह सेमीफाइनल से हारकर बाहर होने के बाद कहा था कि अत्यधिक चौकों-छक्कों से वनडे क्रिकेट उबाऊ होता जा रहा है.
- इनपुट IANS