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पहले भी कई बड़े बल्लेबाज हो चुके हैं बाउंसरों के शिकार

ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज फिल ह्यूजेस के एक बाउंसर से बुरी तरह से घायल होने के बाद बाउंसरों पर फिर से चर्चा हो रही है. कई नामी-गिरामी बल्लेबाजों को यह अस्पताल पहुंचा चुकी है इनमें रिकी पोंटिंग, माइक गैटिंग जैसे बड़े खिलाड़ी तो शामिल ही हैं, भारत के पूर्व कप्तान नारी कॉन्ट्रैक्टर भी हैं.

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फिल ह्यूजेस
फिल ह्यूजेस

ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज फिल ह्यूजेस के एक बाउंसर से बुरी तरह से घायल होने के बाद बाउंसरों पर फिर से चर्चा हो रही है. क्रिकेट की गेंद जिसका वजन अधिकतम पौने छह औंस होता है, जब 100 मील की रफ्तार से यह 22 गज की पट्टी पर फेंकी जाती है तो पलक झपकने से पहले ही बल्लेबाज के पास पहुंच जाती है और जब यह अचानक उठती है तो जानलेवा हो जाती है. कई नामी-गिरामी बल्लेबाजों को यह अस्पताल पहुंचा चुकी है इनमें रिकी पोंटिंग, माइक गैटिंग जैसे बड़े खिलाड़ी तो शामिल ही हैं, भारत के पूर्व कप्तान नारी कॉन्ट्रैक्टर भी हैं.

तीस साल पहले क्रिकेट में हेलमेट का चलन शुरू हुआ लेकिन उसके पहले बल्लेबाज बिना उस कवच के बैटिंग करने आते थे. उनमें से कई खिलाड़ी तेज रफ्तार बाउंसरों से घायल होकर अस्पताल जा पहुंचते थे. इनमें से भारत के कप्तान नारी कॉन्ट्रैक्टर भी थे जो वेस्ट इंडीज में 1961-62 सीरीज में बल्लेबाजी करते वक्त तूफानी गेंदबाज चार्ली ग्रिफिथ की बाउंसर का शिकार हो गए थे. उनकी खोपड़ी की हड्डी टूट गई थी और डॉक्टरों को उनकी जान बचाने के लिए उनका ऑपरेशन तक करना पड़ा. उसके बाद उनके क्रिकेट जीवन का अंत ही हो गया.

अगर पुराने मामले याद किए जाएं तो क्रिकेट इतिहास की सबसे बुरी घटना इंग्लैंड में हुई जब 1870 में इंग्लिश लीग क्रिकेट में युवा तेज गेंदबाज जॉन प्लैट्स की तूफानी गेंद का शिकार जॉर्ज समर्स नाम का बल्लेबाज हुआ. लॉर्ड्स की पिच पर उठती हुई गेंद समर्स के सिर पर लगी. उसे घर ले जाया गया जहां चार दिनों के बाद उसकी मौत हो गई.

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इंग्लैंड के तूफानी गेंदबाज हैरल्ड लारवुड ने तो सबसे ज्यादा खिलाड़ियों को घायल किया. दरअसल बॉडी लाइन गेंदबाजी उनकी ही खोज थी जिसने क्रिकेट खेलने का तरीका ही बदल दिया. 1932-33 सीरीज में लारवुड की एक तेज गेंद ने तो ऑस्ट्रेलिया के बल्लेबाज बर्ट ओल्डफील्ड को चारों खाने चित कर दिया था.

न्यूजीलैंड के इवान चैटफील्ड का किस्सा तो काफी मशहूर है. 1974-75 में इंग्लैंड और न्यूजीलैंड सीरीज में इंग्लैंड टीम जीत की ओर बढ़ रही थी लेकिन चैटफील्ड ने बहुत बहादुरी से टीम को हार से बचाए रखा. इस पर इंग्लैंड के तेज गेंदबाज पीटर लीवर को गुस्सा आ गया और उन्होंने एक दनदनाता हुआ बाउंसर पटका. गेंद चैटफील्ड के माथे पर लगी और वह पिच पर गिरकर बेहोश हो गए. इंग्लैंड टीम के फिजियो ने उन्हें सांस देकर फिर से जिंदा कर दिया. लीवर उन्हें बेहोश देखकर तो रोने ही लग गए.

लेकिन हेलमेट युग आने के बाद हालात कुछ बदले और बल्लेबाजों को काफी राहत मिली फिर भी कई बड़े खिलाड़ी बाउंसरों के शिकार होते रहे. इनमें जस्टिन लेंगर भी थे. ऑस्ट्रेलिया के इस बल्लेबाज को तो दो बार बाउंसरों से घायल किया. 1992-93 में वेस्ट इंडीज के तूफानी गेंदबाज इयान बिशप की गेंद उनके सिर पर लगी और उन्हें वह दौरा छोड़कर स्वदेश लौटना पड़ा. ऐसा लगा कि वह क्रिकेट से रिटायरमेंट ले लेंगे. दूसरी बार उन्हें दक्षिण अफ्रीका के तेज गेंदबाज मखाया एंटिनी ने 2005-06 सीरीज में अपना शिकार बनाया. एंटिनी की बाउंसर उनके सिर पर लगी और उन्हें अस्पताल ले जाया गया. वह आगे के मैच भी नहीं खेल पाए. ऑस्ट्रेलिया के शानदार बल्लेबाज रिकी पोंटिंग भी बाउंसर का शिकार हो चुके हैं. लार्ड्स में 2005 में पोंटिंग को स्टीव हर्मिसन की बाउंसर लगी. पहले तो उन्हें कुछ पता ही नहीं चला लेकिन बाद में देखा गया तो उनके सिर से खून बह रहा था.

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वेस्टइंडीज के तूफानी गेंदबाज मैल्कम मार्शल से तो ज्यादातर बल्लेबाज घबराते थे. ताकतवर मार्शल अपनी शॉर्ट पिच गेंदों के लिए मशहूर थे. 1985-86 सीरीज में उन्होंने एक जबर्दस्त गेंद इंग्लैंड के कप्तान माइक गैटिंग को पटकी. वह गैटिंग की नाक पर लगी और खून की धार बह निकली और उन्हें बाहर ले जाना पड़ा. मार्शल ने तो उस सीरीज में वेस्ट इंडीज की उछाल भरी पिचों पर बल्लेबाजों को इतना डराया कि कोई भी उनके सामने नहीं टिक पा रहा था. ज्यादातर बल्लेबाज जल्दी से जल्दी आउट हो जाना चाहते थे.

वो साहसी खिलाड़ी
लेकिन कई ऐसे बल्लेबाज भी हुए जो तेज गेंदों से घायल होने के बाद भी खेलने वापस आए. इनमें से एक खिलाड़ी का किस्सा यहां बताना जरूरी है. उसका नाम ज्यादातर लोग नहीं जानते. वह थे सुल्तान जरावई जो करोड़पति थे और शौकिया क्रिकेट खेलते थे. वह यूएई टीम के कप्तान भी थे. उनका मुकाबला 1996 में रावलपिंडी में दक्षिण अफ्रीका के खतरनाक गेंदबाज एलेन डोनाल्ड से हुआ. उन्होंने हेलमेट की बजाय एक हैट पहना था. डोनाल्ड की पहली ही गेंद उठती हुई बाउंसर थी. गेंद ज़रावई के सिर में लगी और वह चकरा गए. लेकिन कुछ ही सेकेंड बाद उन्होंने अपना हैट उठाया और फिर बल्लेबाजी करने चले आए. छह गेंद बाद वह आउट हो गए लेकिन अपनी बहादुरी की छाप छोड़ गए.

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इंग्लैंड के महान बल्लेबाज डेनिस क्रॉम्पटन को 1948 में रे लिंडवॉल ने अपने बाउंसर से बुरी तरह जख्मी कर दिया. उनके सिर पर दो टांके लगे लेकिन वह घबराए नहीं और अस्पताल से लौटकर बैटिंग करने आए. उन्होंने उस मैच में शानदार 145 नाबाद रन बनाए.

रमन लांबा का दुखद अंत
दिल्ली के बेहतरीन बल्लेबाज रमन लांबा बांग्लादेश में वहां की लीग में खेलने गए थे. 1998 में ढाका में जब वह फील्डिंग कर रहे थे तो एक बल्लेबाज ने गेंद को जोर से उनकी ओर मारा. लांबा इसके पहले कि कोई कार्रवाई करते, गेंद उनके माथे में लगी और अस्पाताल में तीन दिनों के बाद उनका निधन हो गया. उनकी उम्र महज 38 साल थी. लांबा ने भारत की ओर से 32 वन डे और 4 टेस्ट भी खेले थे.

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