scorecardresearch
 

क्या सूरज मरकर पृथ्वी समेत बाकी ग्रहों को खा जाएगा? क्या वैज्ञानिकों ने देख ली भविष्य की झलक

खगोलविदों ने हवाई की केक वेधशाला से एक सफेद बौने तारे को पकड़ा, जो अपने मरने के 30 अरब साल बाद अपने टूटे ग्रह के अवशेष निगल रहा है. यह खोज ग्रहों के विकास को चुनौती देती है. हमारे सौर मंडल के भविष्य की झलक दिखाती है. एक समय ऐसा आएगा जब हमारा सूरज धरती को निगल जाएगा.

Advertisement
X
एक सफेद बौना तारा पड़ोसी तारों और ग्रहों से कुछ इसी तरह पूरी ऊर्जा खींच लेता है. (Photo: Representational/Getty)
एक सफेद बौना तारा पड़ोसी तारों और ग्रहों से कुछ इसी तरह पूरी ऊर्जा खींच लेता है. (Photo: Representational/Getty)

एक सूरज जैसा तारा बूढ़ा होकर मर जाता है. फिर अरबों साल बाद, वह अपने पुराने ग्रह को चबाकर निगल लेता है. वैज्ञानिकों ने ऐसी ही एक डरावनी घटना को देखा है. यह खोज हमारे अपने सौर मंडल के भविष्य को भी दिखाती है. जब सूरज मरेगा और वह ग्रहों का खा जाएगा. 

हवाई के माउना की पहाड़ पर बने डब्ल्यू. एम. केक वेधशाला से खगोलविदों ने यह नजारा देखा. उन्होंने एक सफेद बौना तारे को पकड़ा, जो अपने टूटे हुए ग्रह के टुकड़ों को खा रहा था. यह तारा सूरज जैसा था, लेकिन अब वह मरा हुआ है. ग्रह को नष्ट होने में 30 अरब साल से ज्यादा लगे.

यह भी पढ़ें: बांग्लादेश को निगल रही ब्रह्मपुत्र नदी! आफत में ये द्वीप, एक घर तो 35 बार बह चुका है

यह खोज सिर्फ रोचक नहीं, बल्कि हैरान करने वाली है. कनाडा की मॉन्ट्रियल यूनिवर्सिटी की एस्ट्रोफिजिसिस्ट एरिका ले बोर्डेस कहती हैं कि यह ग्रहों के विकास की हमारी समझ को चुनौती देता है. वे इस रिसर्च की मुख्य लेखिका हैं.

Sun will Eat Earth

क्या हुआ इस तारे के साथ?

यह सफेद बौना तारा का नाम है LSPM J0207+3331. यह धरती से 145 प्रकाश-वर्ष दूर है. सफेद बौना तारे (White Dwarf) सूरज जैसे तारों का अंतिम रूप होते हैं. जब सूरज बूढ़ा होगा, तो वह अपनी बाहरी परतें फेंक देगा और सफेद बौना ही बनेगा.

Advertisement

वैज्ञानिकों ने इस तारे की सतह पर 13 भारी तत्व पाए. यह संख्या बहुत ज्यादा है. सामान्यतः हाइड्रोजन से भरे ठंडे सफेद बौने तारों में इतने तत्व नहीं दिखते. एरिका कहती हैं कि इनकी हवा ज्यादा घनी होती है. भारी तत्व जल्दी तारे के अंदर डूब जाते हैं. हमने सोचा था कि सिर्फ कुछ तत्व दिखेंगे.

यह भी पढ़ें: वहम कर लें दूर... हम धरती पर नहीं जन्मे, अंतरिक्ष से आए हैं! इस नई खोज ने किया शॉक

दूसरी तरफ, हीलियम से भरे गर्म सफेद बौने तारों में तत्व ज्यादा देर रहते हैं. हीलियम की हवा पारदर्शी होती है, इसलिए तत्व लाखों साल तक दिखते रहते हैं. लेकिन हाइड्रोजन वाले तारे ज्यादा होते हैं. वे आकाशगंगा के सबसे पुराने तारे हैं. इसलिए यह खोज पुराने ग्रहों के विकास को समझने का नया तरीका देती है.

Sun will Eat Earth

नष्ट ग्रह कैसा था?

यह ग्रह कम से कम 200 किलोमीटर चौड़ा था. इसमें चट्टानी बाहरी परत और धातु का केंद्र था – ठीक पृथ्वी जैसा. वैज्ञानिकों ने पाया कि ग्रह के केंद्र का वजन कुल ग्रह के 55 प्रतिशत था. तुलना के लिए, बुध का केंद्र 70 प्रतिशत है, जबकि पृथ्वी का 32 प्रतिशत.

ग्रहों को सीधे देखना मुश्किल है. उनकी रासायनिक संरचना पता लगाना और भी कठिन. लेकिन जब सफेद बौना तारा ग्रह को निगलता है, तो उसके टुकड़े तारे की साफ हाइड्रोजन हवा में घुल जाते हैं. इससे तत्वों के निशान मिलते हैं. यह तरीका ग्रहों की संरचना बताता है.

Advertisement

यह भी पढ़ें: प्रशांत महासागर के नीचे धरती दो टुकड़ों में बंट रही है... क्या आने वाली है आफत?

हमारी सौर मंडल का भविष्य?

यह घटना 30 अरब साल पुरानी है. लेकिन यह हमारी सौर मंडल को चेतावनी देती है. 50 अरब साल बाद सूरज भी सफेद बौना बनेगा. तब ग्रहों की कक्षाएं अस्थिर हो सकती हैं. बाल्टीमोर के स्पेस टेलीस्कोप साइंस इंस्टीट्यूट के खगोलविद जॉन डेब्स कहते हैं कि तारे की मौत के बहुत बाद इस सिस्टम में कुछ गड़बड़ हुई.

Sun will Eat Earth

क्या हुआ? शायद तारे का वजन कम होने से ग्रहों की कक्षाएं बिगड़ीं. या सिस्टम के दूसरे ग्रहों ने इसे धक्का दिया. जॉन कहते हैं कि यह लंबे समय की गतिशील प्रक्रियाओं की ओर इशारा करता है, जिन्हें हम अभी पूरी तरह नहीं समझते.

आगे क्या?

वैज्ञानिकों को लगता है कि हो सकता है बृहस्पति जैसे बड़े ग्रहों ने छोटे ग्रह को बर्बाद किया हो. लेकिन ऐसे बड़े ग्रह ठंडे और दूर होने से दिखना मुश्किल है. यूरोपियन स्पेस एजेंसी के गैया टेलीस्कोप के पुराने डेटा और नासा के जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप की इन्फ्रारेड तस्वीरों से सुराग मिल सकते हैं.

यह खोज ग्रहों के निर्माण और विकास को आकाशगंगा के पैमाने पर जांचने में मदद करेगी. हम पृथ्वी जैसे ग्रहों के जन्म, विकास और मौत के रहस्य जान सकेंगे.

Advertisement

यह रिसर्च एस्ट्रोफिजिकल जर्नल में छपी है. वैज्ञानिक अब और ऐसे "मृत" सिस्टमों की तलाश करेंगे, जहां तारे अपने ग्रहों को निगल रहे हों. यह ब्रह्मांड की अनंत कहानियों का एक हिस्सा है – जहां मौत भी नई जिंदगी के राज खोलती है.

---- समाप्त ----
Live TV

Advertisement
Advertisement