कुलसेकरापट्टिनम (Kulsekarapattinam) तमिलनाडु का तटीय कस्बा है. यह प्रसिद्ध थुथुकुड़ी जिले में है. जिसे पहले तूतीकोरीन कहा जाता था. मैसूर के बाद सिर्फ इसी शहर का दशहरा बहुत ज्यादा प्रसिद्ध है. यहां पर 12 दिनों तक दशहरा मनाया जाता है. अपने मोतियों के लिए जाना जाने वाला तूतीकोरीन अब रॉकेट लॉन्च के लिए भी जाना जाएगा. अब यहां से छोटे रॉकेट जैसे ASLV और SSLV छोड़े जाएंगे. साथ ही प्राइवेट रॉकेटों को छोड़ने की भी व्यवस्था की जाएगी.
देश का दूसरा स्पेसपोर्ट 2000 एकड़ जमीन में बनेगा. 28 फरवरी 2024 को पीएम नरेंद्र मोदी इसका शिलान्यास करेंगे. तमिलनाडु राज्य में यह प्रोजेक्ट साइंस और टेक्नोलॉजी को बढ़ावा देगा. श्रीहरिकोटा में दो लॉन्च पैड हैं. इसके अलावा सभी लॉन्चिंग के लिए अलग से अस्थाई लॉन्च पैड बनाना पड़ता है. या फिर दोनों में से किसी का इस्तेमाल करना पड़ता है.
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तमिलनाडु या यूं कहें देश के अंत में बंगाल की खाड़ी के बगल कोरोमंडल तट पर और श्रीलंका के ठीक ऊपर स्थित थूथुकुड़ी को पहले तूतीकोरीन कहा जाता था. तूतीकोरीन बंदरगाह भारत के प्रमुख बंदरगाहों में से एक है. यह चेन्नई से करीब 600, तिरुवनंतपुरम से 190 किलोमीटर दूर है. इस बंदरगाह का संबंध पांड्या साम्राज्य से है जो 12वीं से 14वीं सदी तक यहां पर राज्य करता था.
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थूथुकुड़ी में मोतियों का कारोबार होता है. यहीं से मोतियों का कारोबार करने वाले लोग समुद्र में गोता लगाकर मोतियां निकालते हैं. या उनकी खेती करते हैं. यहां को मोतियों के कारोबार को देख कर 1548 में यहां पर पुर्तगालियों ने हमला कर दिया. इसके बाद 1658 में डच आए.
आखिरकार 1825 में ब्रिटिश शासकों ने तूतीकोरीन पर साम्राज्य स्थापित कर लिया. 1842 में तूतीकोरीन बंदरगाह का आधुनिक निर्माण शुरू हुआ था. थूथुकुड़ी में भारी मात्रा में नमक की खेती होती है. यहां के नमक की सबसे ज्यादा मांग रासायनिक उद्योगों में होती है. यहां से हर साल 1.2 मिलियन टन नमक का उत्पादन किया जाता है.