scorecardresearch
 

जिस सैटेलाइट से भारत ने सर्जिकल और एयर स्ट्राइक पर रखी थी नजर, उसी का लेटेस्ट वर्जन लॉन्च करेगा ISRO

ISRO 18 जून को EOS-09 उपग्रह का प्रक्षेपण करेदा. यह उपग्रह न केवल रक्षा और सुरक्षा के क्षेत्र में देश की क्षमताओं को बढ़ाएगा, बल्कि आपदा प्रबंधन और प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण में भी महत्वपूर्ण योगदान देगा.

Advertisement
X
ये है PSLV-XL रॉकेट, इसी से लॉन्च होगा EOS-9 सैटेलाइट. (फाइल फोटोः ISRO)
ये है PSLV-XL रॉकेट, इसी से लॉन्च होगा EOS-9 सैटेलाइट. (फाइल फोटोः ISRO)

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) 18 जून को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से ईओएस-09 उपग्रह, जिसे रिसैट-1बी (RISAT-1B) के नाम से भी जाना जाता है, को प्रक्षेपित करने के लिए तैयार है. यह प्रक्षेपण भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा. जिस सैटेलाइट से भारत ने सर्जिकल और एयर स्ट्राइक पर रखी थी नजर, उसी का लेटेस्ट वर्जन है EOS-9. 

Advertisement

प्रक्षेपण का विवरण

ईओएस-09 उपग्रह को पीएसएलवी-सी61 एक्सएल (PSLV-C61 XL) रॉकेट से 529 किलोमीटर की ऊंचाई पर पृथ्वी की कक्षा में स्थापित किया जाएगा. इस उपग्रह का वजन 1,710 किलोग्राम है. यह सी-बैंड सिंथेटिक अपर्चर रडार (SAR) से लैस है. यह रडार दिन-रात और किसी भी मौसम की स्थिति में पृथ्वी की सतह की उच्च-रिजॉल्यूशन छवियां प्रदान करने में सक्षम है. प्रक्षेपण 18 जून को सुबह 6:59 बजे निर्धारित है.

यह भी पढ़ें: हाइपरसोनिक ग्लाइड व्हीकल, ब्रह्मोस-2... भारत के फ्यूचर वेपन जो PAK-चीन के होश उड़ा देंगे

ईओएस-09 उपग्रह की विशेषताएं और महत्व

ईओएस-09 रिसैट (रडार इमेजिंग सैटेलाइट) श्रृंखला का सातवां उपग्रह है. इसकी उन्नत रडार इमेजिंग तकनीक इसे बादलों, कोहरे या अंधेरे जैसी प्रतिकूल परिस्थितियों में भी सटीक और उच्च-गुणवत्ता वाली तस्वीरें लेने में सक्षम बनाती है... 

  • रक्षा और सुरक्षा: ईओएस-09 देश की रक्षा गतिविधियों के लिए महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करेगा. यह सैन्य नियोजन और संचालन में सहायता करेगा, जैसे कि सीमा निगरानी, संदिग्ध गतिविधियों की निगरानी और रणनीतिक क्षेत्रों की मैपिंग. इसकी उच्च-रिजॉल्यूशन इमेजिंग क्षमता सेना के लिए महत्वपूर्ण डेटा उपलब्ध कराएगी.
  • आपदा प्रबंधन: यह उपग्रह प्राकृतिक आपदाओं जैसे बाढ़, भूकंप, चक्रवात और भूस्खलन की निगरानी और प्रभावित क्षेत्रों का आकलन करने में सहायता करेगा. आपदा के दौरान राहत और बचाव कार्यों के लिए समय पर जानकारी प्रदान करना इसका प्रमुख उद्देश्य है.
  • प्राकृतिक संसाधनों की निगरानी: ईओएस-09 का उपयोग कृषि, वन, जल संसाधनों और खनिजों की निगरानी के लिए भी किया जाएगा. यह भूमि उपयोग, फसल स्वास्थ्य और पर्यावरण परिवर्तनों का विश्लेषण करने में मदद करेगा.

EOS-09 Satellite, RISAT-1B, ISRO

Advertisement

रिसैट श्रृंखला का महत्व

रिसैट श्रृंखला के उपग्रह भारत की रडार इमेजिंग क्षमताओं को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. ये उपग्रह ऑप्टिकल सेंसर पर निर्भर पारंपरिक उपग्रहों से अलग हैं, क्योंकि इनका रडार सिस्टम मौसम की बाधाओं को पार करते हुए निरंतर निगरानी सुनिश्चित करता है.

रिसैट-1, जिसे 2012 में लॉन्च किया गया था, इस श्रृंखला का पहला उपग्रह था. तब से इसरो ने इस तकनीक को और उन्नत किया है. ईओएस-09 इस श्रृंखला का नवीनतम और तकनीकी रूप से उन्नत संस्करण है.

यह भी पढ़ें: आकाश, ब्रह्मोस, स्काई स्ट्राइकर ड्रोन... वो मेड इन इंडिया हथियार जो PAK की कमर तोड़ने का बने आधार

पीएसएलवी-सी61 एक्सएल: इसरो का विश्वसनीय प्रक्षेपण यान

पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (PSLV) इसरो का एक विश्वसनीय प्रक्षेपण यान है, जिसने कई सफल मिशनों को अंजाम दिया है. पीएसएलवी-सी61 एक्सएल इसका एक उन्नत संस्करण है, जो भारी उपग्रहों को कक्षा में स्थापित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है. इसकी सटीकता और विश्वसनीयता ने इसे वैश्विक स्तर पर मान्यता दिलाई है.

भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम की प्रगति

यह प्रक्षेपण भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम की बढ़ती ताकत और आत्मनिर्भरता का प्रतीक है. इसरो ने हाल के वर्षों में चंद्रयान, मंगलयान और गगनयान जैसे महत्वाकांक्षी मिशनों के साथ वैश्विक अंतरिक्ष समुदाय में अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज की है. ईओएस-09 का प्रक्षेपण न केवल भारत की तकनीकी क्षमता को प्रदर्शित करेगा, बल्कि रक्षा, आपदा प्रबंधन और संसाधन प्रबंधन जैसे क्षेत्रों में देश की सुरक्षा और विकास को भी बढ़ावा देगा.

Live TV

Advertisement
Advertisement