भारत की सुरक्षा और संरक्षा को सुनिश्चित करने में उपग्रह प्रौद्योगिकी की भूमिका आज के समय में बेहद महत्वपूर्ण हो गई है. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष वी. नारायणन ने हाल ही में इस बात पर बल दिया कि यदि हमें अपने देश की सुरक्षा को मजबूत करना है, तो हमें उपग्रहों के माध्यम से अपनी सेवाएं देनी होंगी.
उन्होंने बताया कि भारत के पास 10 उपग्रह हैं, जो चौबीसों घंटे निगरानी कर रहे हैं. विशेष रूप से हमारे 7,000 किलोमीटर लंबे समुद्री तट क्षेत्रों की सुरक्षा के लिए. उनका यह भी कहना है कि उपग्रह और ड्रोन प्रौद्योगिकी के बिना हम कई महत्वपूर्ण लक्ष्यों को हासिल नहीं कर सकते.
उपग्रह प्रौद्योगिकी: राष्ट्रीय सुरक्षा की नींव
आधुनिक युग में राष्ट्रीय सुरक्षा केवल पारंपरिक तरीकों से संभव नहीं है. आज हमें ऐसी तकनीक की जरूरत है जो वास्तविक समय में सूचनाएं प्रदान करे. किसी भी खतरे से निपटने में हमारी मदद करे. इसरो अध्यक्ष वी. नारायणन ने स्पष्ट किया कि उपग्रह प्रौद्योगिकी इस दिशा में एक क्रांतिकारी कदम है. यह न केवल सीमा सुरक्षा में सहायक है, बल्कि प्राकृतिक आपदाओं, समुद्री खतरों और अन्य सुरक्षा चुनौतियों से निपटने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. उनके अनुसार, उपग्रहों के बिना देश की सुरक्षा मुश्किल है.
10 उपग्रहों का योगदान
भारत के पास 10 उपग्रह हैं जो राष्ट्रीय सुरक्षा और संरक्षा के लिए पूरी तरह समर्पित हैं. ये उपग्रह दिन-रात, चौबीसों घंटे काम करते हैं. विभिन्न क्षेत्रों में निगरानी का जिम्मा संभालते हैं.
यह भी पढ़ें: भारतीय सेना का हीरो... Akash डिफेंस सिस्टम ने PAK के टारगेट को आसमान में ही बेदम किया
इनका मुख्य कार्य है...
इन उपग्रहों की मदद से भारत सरकार और सुरक्षा एजेंसियां किसी भी संभावित खतरे का समय पर पता लगा सकती हैं. तुरंत कार्रवाई कर सकती हैं. यह तकनीक हमें आत्मनिर्भर और सशक्त बनाती है.
7,000 किलोमीटर समुद्री तट की चुनौती
भारत का समुद्री तट लगभग 7,000 किलोमीटर तक फैला हुआ है, जो इसे दुनिया के सबसे विस्तृत तटीय क्षेत्रों में से एक बनाता है. इतने बड़े क्षेत्र की निगरानी करना अपने आप में एक विशाल चुनौती है. समुद्र के रास्ते अवैध घुसपैठ, मछुआरों की सुरक्षा, तस्करी और आतंकी गतिविधियों जैसे खतरे हमेशा बने रहते हैं.
इसरो अध्यक्ष ने बताया कि इन खतरों से निपटने के लिए उपग्रह प्रौद्योगिकी एक वरदान साबित हुई है. उपग्रहों के जरिए हम समुद्री गतिविधियों पर लगातार नजर रख सकते हैं. किसी भी संदिग्ध हरकत को तुरंत पकड़ सकते हैं. यह तकनीक हमें तेजी से निर्णय लेने और कार्रवाई करने की क्षमता देती है.
यह भी पढ़ें: कर्नल सोफिया और विंग कमांडर व्योमिका ने पाक के एक-एक झूठ को तस्वीरों से किया बेनकाब
उपग्रह और ड्रोन प्रौद्योगिकी का संयोजन
इसरो अध्यक्ष वी. नारायणन ने यह भी कहा कि उपग्रह और ड्रोन प्रौद्योगिकी एक-दूसरे के पूरक हैं. जहां उपग्रह बड़े क्षेत्रों की निगरानी करते हैं. वहीं ड्रोन छोटे और दुर्गम क्षेत्रों में सटीक जानकारी प्रदान करते हैं. बिना इन दोनों के संयोजन के, कई महत्वपूर्ण लक्ष्य अधूरे रह जाते.
दुर्गम क्षेत्रों में निगरानी: पहाड़ी या जंगली इलाकों में जहां मानव पहुंच मुश्किल है, वहां ड्रोन उपयोगी साबित होते हैं.
वास्तविक समय की जानकारी: उपग्रह और ड्रोन मिलकर ऐसी सूचनाएं देते हैं जो त्वरित कार्रवाई के लिए जरूरी हैं.
यह संयोजन भारत को सुरक्षा के क्षेत्र में एक नई ऊंचाई पर ले जा रहा है.
एक सुरक्षित भविष्य की ओर
इसरो अध्यक्ष वी. नारायणन कहा कि उपग्रहों के बिना हम कई चीजें हासिल नहीं कर सकते. हमें सोचने पर मजबूर करता है कि हमें इस दिशा में और अधिक निवेश और प्रयास करने की जरूरत है. यह तकनीक न केवल हमारी सुरक्षा को सुनिश्चित करती है, बल्कि हमें एक विकसित और आत्मनिर्भर भारत की ओर भी ले जाती है. भविष्य में इन तकनीकों का और विस्तार करना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए ताकि हम हर चुनौती का सामना करने के लिए तैयार रहें.