अलास्का (Alaska) में एक नदी बहती है. नाम है मेंडेनहॉल (Mendenhall). इसी नाम का ग्लेशियर है. जो जुनेऊ शहर के पास मौजूद पहाड़ों में है. यहां पर ग्लेशियर की वजह से झील बनी है. इसी झील से यह नदी निकलती है. झील की प्राकृतिक दीवार टूटने से नदी में अचानक से बाढ़ आ गई. ये नजारा 2013 में केदारनाथ में आए आपदा जैसा था. (सभी फोटोः रॉयटर्स/एपी/गेटी)
जुनेउ शहर के डिप्टी सिटी मैनेजर रॉब बर्र ने बताया कि नदी में आई अचानक बाढ़ से कई सड़कें डूब गई हैं. दो मकान लापता हो गए हैं. इसके अलावा कई क्षतिग्रस्त हुए हैं. कुछ तो बह भी गए हैं. कई और इमारतें अब भी खतरें में हैं, क्योंकि नदी का बहाव तेज है. पानी ज्यादा है. किनारे कट रहे हैं.
नदी में ऊंचाई से मलबा और पेड़ बहकर आ रहे हैं. जिसकी वजह से इस स्थिति को इमरजेंसी घोषित किया गया है. वैज्ञानिक लगातार इस ग्लेशियर और उससे बनी झील स्टडी कर रहे थे. झील के टूटने की आशंका मात्र 1 फीसदी थी. लेकिन इसके बावजूद यह घटना हुई. यह ग्लोबल वॉर्मिंग की तरफ इशारा करता है.
जुनेऊ के स्थानीय निवासी सैम नोलन ने नदी के किनारे बने इमारतों के टूटने का वीडियो बनाया. उन्होंने बताया कि कैसे नदी का पानी तेजी से घरों के नीचे की मिट्टी काट रहा था. जिसकी वजह से घर गिर रहे थे. पानी का बहाव भी काफी तेज था. सैम ने बताया कि प्राकृतिक आपदाओं के सामने इंसान कुछ कर ही नहीं सकता.
शनिवार को मेंडेनहॉल झील का जलस्तर 14.97 फीट से ज्यादा हो गया था. जुलाई 2016 के 11.99 फीट का रिकॉर्ड टूटा था. पानी प्राकृतिक दीवारों के ऊपर से बह रहा था. कई इलाकों में बाढ़ आ चुकी थी. लेकिन इतनी बुरी हालत झील की दीवार टूटने के बाद हुई है.
बाढ़ की वजह बारिश बताई जा रही है. जुनेउ के आसपास के इलाकों में पिछले कुछ दिनों से 0.7 फीट प्रतिघंटा की दर से बारिश हो रही है. जिसकी वजह से बाढ़ आई. कई सड़कें बंद हो चुकी हैं. ब्रिज और पुल टूट गए हैं. सिटी इमरजेंसी ऑपरेशंस ने स्थानीय लोगों को नदी से दूर रहने की सलाह दी है.
इसके पहले साल 2011 में ग्लेशियर और झील के जुड़ाव वाले इलाके यानी सुसाइड बेसिन (Suicide Basin) से भी ऐसी घटना घटी थी. जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वॉर्मिंग की वजह से लगातार ग्लेशियर टूट रहे हैं. पिघल रहे हैं. ऐसे में इस तरह की घटनाओं के बढ़ने की आशंका बहुत ज्यादा है.
रॉब बर्र ने कहा कि हम नदी के किनारों से लोगों को दूर रख रहे हैं. किनारों को ठीक करने का प्रयास कर रहे हैं. किनारों के स्थिर करने का प्रयास कर रहे हैं. जुनेउ शहर में ज्यादा लोग रहते नहीं हैं, इसलिए किसी की जान नहीं गई. इस शहर में अभी तक ऐसी व्यवस्था नहीं है कि ग्लेशियर की झील से कितना पानी रिलीज हो रहा है.
कुछ समय पहले आई एक स्टडी के मुताबिक ग्लेशियर झील के फटने की वजह से 1.50 करोड़ लोगों की जान आफत में है. ये लोग भारत, पाकिस्तान, पेरू और चीन में रहते हैं. मेंडेनहॉल ग्लेशियर 21.9 किलोमीटर लंबा है. 1929 से अब तक ग्लेशियर 2.82 किलोमीटर पीछे खिसक चुका है. जिससे झील बनी है. यह झील 4 किलोमीटर लंबी है.