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जन्माष्टमी पर करोड़ों के गहनों से सजाए जाते हैं राधा-कृष्ण, जानें इस मंदिर की खासियत

मध्यप्रदेश के ग्वालियर में एक मंदिर ऐसा भी है, जहां जन्माष्टमी पर भगवान राधा-कृष्ण के विग्रह को बेशकीमती गहने पहनाए जाते हैं. ये सिंधिया रियासत के सैकड़ों साल पुराने कीमती गहने हैं. इन पर मोतियों की जगह हीरे, पन्ना, माणिक, पुखराज, नीलम लगे हैं. इनकी कीमत वर्तमान में 100 करोड़ रुपए (एक अरब) के लगभग बताई जाती है. इनमें सोने का मुकुट, हीरे का हार, पन्ना जड़ित गहने हैं. इनकी सुरक्षा भी किसी किले की सुरक्षा की तरह होती है.

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सैकड़ों साल पुराने बेशकीमती गहने से सजते है गोपाल मंदिर के राधा-कृष्ण
सैकड़ों साल पुराने बेशकीमती गहने से सजते है गोपाल मंदिर के राधा-कृष्ण
स्टोरी हाइलाइट्स
  • ग्वालियर का प्रसिद्ध गोपाल मंदिर
  • महंगे गहनों से सजाए जाते हैं राधा-कृष्ण
  • कड़ी सुरक्षा में दर्शन करते हैं भक्त

मध्यप्रदेश के ग्वालियर में एक मंदिर ऐसा भी है, जहां जन्माष्टमी पर भगवान राधा-कृष्ण को बेशकीमती गहने पहनाए जाते हैं. ये सिंधिया रियासत के सैकड़ों साल पुराने कीमती गहने हैं. इन पर मोतियों की जगह हीरे, पन्ना, माणिक, पुखराज, नीलम लगे हैं. इनकी कीमत वर्तमान में 100 करोड़ रुपए (एक अरब) के लगभग बताई जाती है. इनमें सोने का मुकुट, हीरे का हार, पन्ना जड़ित गहने हैं. इनकी सुरक्षा भी किसी किले की सुरक्षा की तरह होती है. इन बेशकीमती जेवरातों को बैंक लॉकर से मंदिर लाने और अगले दिन पूरी गणना कर बैंक तक वापस पहुंचाने के दौरान करीब 100 जवानों की सुरक्षा रहती है.

सिंधिया राजवंश ने फूलबाग में गोपाल मंदिर का निर्माण कराया था. 1921 में सिंधिया रियासत के तत्कालीन महाराज माधौराव ने इस मंदिर का जीर्णोद्धार कराया. भगवान राधा कृष्ण के लिए सिंधिया राजाओं ने गहने बनवाए थे. आजादी के पहले तक इस मंदिर की देख-रेख सिंधिया रियासत के लोग करते थे. आजादी के बाद सिंधिया राजवंश ने ये गहने भारत सरकार को सौंप दिए थे. नगर निगम ने इन गहनों को बैंक लॉकर में रखवा दिया था. साल 2007 से राधाकृष्ण का श्रृंगार फिर होने लगा.
 
मंदिर से जुड़े लोग बताते है कि सिंधिया राज घराना ही मंदिर की देख-रेख करवाता था. आजादी के समय ये बेशकीमती गहने भारत सरकार के सुपुर्द कर मंदिर को उन्हें सौंप दिया गया था. उसके बाद इन गहनों, मुकुट पर किसी का ध्यान ही नहीं गया, लेकिन साल 2007 में नगर निगम आयुक्त पवन शर्मा को निगम की इस संपत्ति के बारे में पता लगा. जिस पर उन्होंने गोपाल मंदिर में जन्माष्टमी के दिन भगवान राधा-कृष्ण की प्रतिमाओं का इन गहनों से शृंगार कराने की परंपरा शुरू कराई. राधा-कृष्ण 100 करोड़ से ज्यादा के गहने पहनते हैं. लिहाजा यहां कड़ी सुरक्षा रहती है.

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कृष्ण जी को पहनाए जाते हैं यह गहने- कृष्ण सोने का मुकुट पहनाते हैं जिसमें (पंख) पुखराज, माणिक जड़ाऊ व बीच में पन्ना लगा है. मुकुट के पीछे कलंगी में बेशकीमत मोती, नग लगे हैं. दोनों कानों में पन्ना लगे झुमके हैं. सोने के कड़े को पतले सोने के तारों से बांधा जाता है. सोने के तारों में पिरोया हुआ 7 लड़ी का हार, जिसमें 62 मोती, 55 पन्ना और हीरा लगे हैं. सोने की छड़ी जिसमें एक नग लगा है और बांसुरी पन्ना जड़ी हुई होती है.

राधा रानी को पहनाए जाते हैं यह जेवर- राधा रानी का मुकुट 23 कैरेट सोने का है. इसमें बेशकीमती नग लगा है. दो नग झुमके जीरे लगे हुए हैं. सोने की नथ, 249 सफेद मोतियों से जड़ित पांच लड़ी का हार. दो नग सोने के कड़े, पन्ना और हीरे जड़ित, एक नग कंठी, चार सोने की चूडियां, जिन पर आकर्षक नग लगे हैं. 4 सोने के तोड़े नक्काशीदार हैं. प्राचीन गोपाल मंदिर में जन्माष्टमी के दिन हजारों श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं लेकि मूर्ति के पास तक किसी को नहीं जाने दिया जाता है. ऑनलाइन दर्शन के लिए नगर निगम की ओर से LED स्क्रीन लगाकर दर्शन कराया जाता है.

इन गहनों को सेन्ट्रल बैंक के लॉकर से गोपाल मंदिर परिसर तक कड़ी सुरक्षा में लाया जाता है. बैंक से मंदिर तक एक सैकड़ा जवान और अफसर की तीन स्तरीय सुरक्षा रहती है.  मंदिर में जवानों और अफसरों की सुरक्षा के अलावा CCTV कैमरे की कड़ी सुरक्षा रहती है. करीब आधा सैकड़ा CCTV कैमरे विशेष जन्माष्टमी के लिए लगाए जाते हैं, जिनका एक कन्ट्रोल रूम बनाया जाता है. जहां से पुलिस अफसर पूरे मंदिर परिसर पर निगरानी रखते हैं. कुछ कैमरे का फोकस सिर्फ गहनों पर ही रहता है, जिससे सीधी निगरानी की जा सके.

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