26 अप्रैल गुरुवार को मोहिनी एकादशी है. बुरी संगत से बचने का उपाय करें. बहुत अच्छा ग्रह नक्षत्रों का संयोग बना है. महिलाएं अपने पति और बच्चों को बुरी संगत से बचाने के लिए मोहिनी एकादशी की व्रत पूजा करती है. कई बार पति या बच्चे दूसरों दूसरों बुरे लोगों के चक्कर में फंस जाते है. शराब सिगरेट और जुआ खेलने के शिकार हो जाते हैं. कई बार पुरुष चरित्रहीन बन जाते हैं. किसी सौतन की चक्कर में फंस जाते हैं. कुसंगति की वजह से बहुत से लोग बुरे बन जाते हैं. पाप के रास्ते भटकनेवाले व्यक्ति , बच्चों या अन्य लोगों को बुरी संगत से बाहर निकालने के लिए मोहिनी एकादशी की व्रत पूजा करें.
मोहिनी एकादशी गुरुवार को पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र में पड़ गई है
अपने बच्चों या बड़ों को बुरी संगत से बचाओ
गलत संगत में पड़कर बच्चे बिगड़ जाते है
शराब सिगरेट पीने लगते हैं --
चोरी -गुंडागर्दी और पाप के रास्ते चल पड़ते हैं
मोहिनी एकादशी का व्रत पूजा करके
उनको सही रास्ते लाया जा सकता है
रावण से लड़ने से पहले और सीता जी की खोज से पहले
श्री राम जी ने ये व्रत किया था
मोहिनी एकादशी की ऐसे करें व्रत पूजा
बिगड़े बच्चों को गंगा जल डालकर नहलाओ
पीले वस्त्र पहनाओ
ताम्बे पात्र से तुलसी पत्ते का जल भिगोकर रखो और पिलाओ
कुसंगति वाले इंसान को ,नशा करनेवाले अपराधिक मानसिकता
के इंसान से विष्णु पूजा कराएं ---
गुरुवार है विष्णु लक्ष्मी पूजा कराएं
विष्णु जी और हनुमान जी को
केले ,चीनी पंजीरी और शहद चलाएं
मोहिनी एकादशी की कथा
बुरी आदतों के लोगों को सुधारने के लिए
बुरी सांगत से बचाने के लिए
प्राचीन काल में भद्रावती नामक राज्य में
एक राजा के ५ पुत्र थे
सुमन , सुद्युम्न , कृष्णाति
धृष्टबुद्धि , मेधावी
सभी पुत्र गुणवान थे
लेकिन धृष्टबुद्धि बुरी संगत में पड़ गया
एक नीच बुद्धि महिला ने उसे अपने
जाल में फंसा लिया
वह धन बर्बाद करने लगा
बुरी आदतों का शिकार हो गया
उसकी इज़्ज़त खत्म हो गयी
और वह हिंसक हो गया
तो राजा कौण्डिन्य ऋषि के पास गए
कौण्डिन्य ऋषि ने राजा को बताया
तुम्हारा पुत्र बुरी संगत से
और बुराइयों से बाहर निकल सकता है
वो पापों से मुक्त हो सकता है
अगर वो वैशाख शुक्ल पक्ष की एकादशी
यानि मोहिनी एकादशी का व्रत पूजा करें
धृष्टबुद्धि ने एकादशी की यह व्रत-पूजा की
तो वह बुराइयों और बुरी संगत से निकल गया
और उस बुरी महिला के चंगुल से बाहर निकल गया
और उसका जीवन सुखी हो गया.