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Buddha Purnima 2025: बुद्ध पूर्णिमा पर आज करें ये महाउपाय, दिन दौगुनी रात चौगुनी मिलेगी तरक्की

Buddha Purnima 2025: हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल वैशाख शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा पर बुद्ध पूर्णिमा मनाई जाती है. इसे बुद्ध जयंती, पीपल पूर्णिमा और वैशाख पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है. इस अवसर पर भगवान गौतम बुद्ध के उपदेशों का भक्त स्मरण करते हैं और जीवन में उनके आदर्शों पर चलने का संकल्प लेते हैं.

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बुद्ध पूर्णिमा के उपाय
बुद्ध पूर्णिमा के उपाय

Buddha Purnima 2025: बुद्ध पूर्णिमा सबसे पवित्र त्योहार है. हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल वैशाख शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा पर बुद्ध पूर्णिमा मनाई जाती है. इसे बुद्ध जयंती, पीपल पूर्णिमा और वैशाख पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है. इस अवसर पर भगवान गौतम बुद्ध के उपदेशों का भक्त स्मरण करते हैं और जीवन में उनके आदर्शों पर चलने का संकल्प लेते हैं. बुद्ध पूर्णिमा 12 मई 2025 यानी आज मनाई जा रही है. और यह भगवान बुद्ध की 2587वीं जयंती होगी. ज्योतिषियों की मानें तो, बुद्ध पूर्णिमा के दिन कुछ खास उपाय करना बड़ा ही शुभ माना जाता है.

बुद्ध पूर्णिमा के उपाय 

1. अगर आपकी कुंडली में चंद्रमा की स्थिति अशुभ या कमजोर है तो बुद्ध पूर्णिमा पर इसे एक सरल उपाय से दूर किया जा सकता है. चन्द्रमा को मजबूत बनाने के लिए भगवान शिव की उपासना सबसे ज्यादा फलदायी होती है. इसलिए बुद्ध पूर्णिमा पर शिव मंत्र का अधिक से अधिक जाप करें. चाहें तो पूर्णिमा का उपवास भी रख सकते हैं.

2. कुंडली में चंद्रमा की स्थिति को मजबूत बनाने के लिए बुद्ध पूर्णिमा पर अंगुली में मोती धारण करें. इसे पहनने के बाद गरीब या जरूरतमंदों को दान जरूर करें. अंगुली में मोती धारण करने के लिए ज्योतिषविदों की सलाह जरूर लें. 

3. बुद्ध पूर्णिमा पर सुबह स्नानादि के बाद सफेद वस्तुओं का दान जरूर करें. विशेषकर खीर का दान करना बहुत ही उत्तम माना जाता है. शिव मंदिर में भी दान करने से लाभ मिलेगा. इससे घर में सुख-संपन्नता बढ़ेगी.

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4. बुद्ध पूर्णिमा पर सुबह विष्णु पूजन के बाद पानी से भरा घड़ा और पकवान आदि का दान करें. कहते हैं कि इस दिन मिट्टी के घड़े का दान गौदान के समान होता है. इस दिन पीले वस्त्र, पंखा, चप्पल, छतरी, अनाज या फल का दान करने से पितृगण प्रसन्न होते हैं.

बुद्ध पूर्णिमा मंत्र

- ॐ श्रां श्रीं श्रौं सः चन्द्रमसे नमः 
- ॐ सोम सोमाय नमः 
- ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीवासुदेवाय नमः 
- ॐ चन्द्रशेखराय नमः
 

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