शिव तांडव स्तोत्र, भगवान शिव के परम भक्त रावण द्वारा की गई एक विशेष स्तुति है. यह स्तुति छन्दात्मक है और इसमें बहुत सारे अलंकार हैं. माना जाता है कि रावण जब कैलाश लेकर चलने लगे तो शिव जी ने अंगूठे से कैलाश को दबा दिया था. फलस्वरूप कैलाश वहीं रह गया और रावण दब गया, तब रावण ने शिव जी को प्रसन्न करने के लिए जो स्तुति की, वह शिव तांडव स्तोत्र कहलाया. जहां रावण दबा था, वह स्थान राक्षस ताल के नाम से प्रसिद्ध हुआ.
क्या है तांडव?
- तांडव शब्द 'तंदुल' से बना हुआ है, जिसका अर्थ उछलना होता है.
- तांडव में ऊर्जा और शक्ति से उछलना होता है, ताकि दिमाग और मन शक्तिशाली हो सके.
- तांडव नृत्य केवल पुरुषों को ही करने की अनुमति होती है.
- महिलाओं को तांडव करना मना होता है.
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किन दशाओं में शिव तांडव स्तोत्र का पाठ सर्वोत्तम होता है?
- जब स्वास्थ्य की समस्याओं का कोई समाधान न निकल पा रहा हो.
- जब तंत्र मंत्र या शत्रु बाधा परेशान करे.
- जब आर्थिक या रोजगार की समस्याएं हों.
- जब जीवन में कोई विशेष उपलब्धि पानी हो.
- जब किसी भी ग्रह की कोई बुरी दशा हो.
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कैसे पढ़ें शिव तांडव स्तोत्र ?
- प्रातः काल या प्रदोष काल में इसका पाठ करना सर्वोत्तम होता है.
- पहले शिव जी को प्रणाम करके उन्हें धूप, दीप और नैवेद्य अर्पित करें.
- इसके बाद गाकर शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करें.
- अगर नृत्य के साथ इसका पाठ करें तो सर्वोत्तम होगा.
- पाठ के बाद शिव जी का ध्यान करें और अपनी प्रार्थना करें.