महाकुंभ दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक मेला है. इसके लिए करीब 1,200 करोड़ रुपये का बजट है और 55 दिनों में यहां करीब 10 करोड़ श्रद्धालुओं के पहुंचने की उम्मीद है.
कड़ाके की सर्दी में करोड़ों लोगों के रहने, भोजन और सुरक्षा की पुख्ता व्यवस्था की गई है. अपने आप में कई खूबियां, विविधता और विशिष्टता लिए तीर्थराज प्रयाग का महाकुम्भ मेला वाकई दुनिया की किसी भी इवेंट कम्पनी और प्रबंधन गुरु के लिए एक अजूबा और शोध का विषय है. यही कारण है कि इलाहाबाद स्थित मोती लाल नेहरू राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एमएनएनआइटी) के स्कूल ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज के प्रबंधन गुरुओं और शोध छात्रों ने श्रद्धालुओं, संतों और व्यापारियों के ऊपर शोध करने का फैसला किया है.
एमएनएनआइटी में स्कूल ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज के एसोसिएट प्रोफेसर तनुज नंदन कहते हैं कि दुनिया भर के प्रबंधन विशेषज्ञ कुम्भ के आयोजन से काफी कुछ सीख सकते हैं. कुम्भ में आने वाली प्रमुख हस्तियों को सुरक्षा देना, करोड़ों श्रद्धालुओं की भीड़ को नियंत्रित करना, रहने के लिए एक नया नगर बसाना वाकई काबिले तारीफ है. यही कारण है कि हार्वर्ड और ऑक्सफोर्ड जैसे विश्वविद्यालयों के शोध छात्र यहां महाकुम्भ पर शोध करने के लिए आने वाले हैं.
विभागाध्यक्ष पीयूष रंजन अग्रवाल ने बताया, ‘शोध में हम यह जानने की कोशिश करेंगे कि एक आम श्रद्धालु कितना खर्च करता है, श्रद्धालुओं का सामाजिक और आर्थिक स्तर क्या है. शोध में साधु-संतों की मदद भी ली जाएगी. इसके लिए कुम्भ में 100 शिक्षक और शोधार्थियों की टीम काम करेगी. शोधकार्य को पांच भागों में बांटा गया है-वित्त, मार्केटिंग, सूचना एवं व्यवस्था, सामाजिक और आर्थिक स्तर व मानव संसाधन.
अग्रवाल कहते हैं कि इसका उद्देश्य प्रबंधन के विद्यार्थियों को देश की अर्थव्यवस्था और सामाजिक एवं आर्थिक स्तर को करीब से देखने का मौका देना है. कुंभ देश का असली और काफी बड़ा आयोजन है. मैनेजमेंट के छात्रों के लिए प्रबंधन का यह जमीनी अनुभव होगा.