जैन महाकुम्भ 17 फरवरी 2018 से शुरू हो गया. हर 12 साल बाद होने वाला भगवान बाहुबली का महामस्तकाभिषेक 20 दिन तक चलेगा. यानी ब्रह्मगिरि पर्वत पर जहां भगवान भरतेश्वर बाहुबली कायोत्सर्ग मुद्रा में खड़े हैं उसके चारों ओर वातावरण भक्ति, श्रद्धा के ज्वार में डूब रहेगा. यानी फ़िज़ा में गूंजती रहेगी गायक रवीन्द्र जैन की सुर लहरी... केसरिया केसरिया आज हमरो मन केसरिया...
भारतीय परंपरा में 12 वर्ष नयापन का सूचक है. 12 वर्ष में बालक किशोर होता है और उसके 12 वर्ष बाद युवा. उसके बाद के 12 वर्ष उसके अनुभव के होते हैं. 12 वर्ष युग भी माने गए हैं. तभी कुंभ हो या महामस्तकाभिषेक 12 का अंकशास्त्र साथ साथ ही हैं.
कर्नाटक के हासन जिले में स्थित श्रवनबेलगोला में भगवान बाहुबली की 52 गज ऊंची अद्भुत पाषाण प्रतिमा का महमस्तिकाभिषेक शुरू हो गया. पवित्र जल, दूध, दही, शर्करा, शहद, घी, गन्ने का रस, केसर जल, नारियल पानी, हल्दी जैसे औषधीय और अमृत तत्वों से महामस्तकाभिषेक सम्पन्न होता है. 20 दिवसीय महमस्तिकाभिषेक महोत्सव में राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री 19 फरवरी को आएंगे. देश विदेश से आए हुए 10 लाख से ज्यादा श्रद्धालु व 350 से अधिक जैन आचार्य मुनि साध्वियां मौजूद हैं.
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ये आचार्य, मुनि, साधु साध्वी क्षुल्लक, एलक सभी देश के अलग-अलग हिस्सों से नंगे पैर महीनों पैदल विहार कर यहां तक पहुंचे हैं. इसके लिए वो ते रहे. मस्तिकाभिषेक के संबंध में जैन मुनि श्री तरुणसागरजी का कहना है कि सुधार की प्रक्रिया मस्तिकाभिषेक का संदेश है. देश समाज या व्यक्ति सभी मे सुधार की प्रक्रिया ऊपर से शुरू होती है. पहले सोच विचार फिर उस पर अमल. पहले मस्तिष्क में फिर शरीर और तब समाज देश और विश्व.
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अपने कड़वे प्रवचनों के लिए मशहूर और जैन धर्म की शिक्षाओं को मंदिरों से बाहर निकल कर जन साधारण तक पहुंचाने की शुरुआत करने वाले मुनि तरुण सागर जी का कहना है कि भगवान ऋषभदेव के पुत्र भगवान बाहुबली ही असली बाहुबली हैं. पर्दे वाला बाहुबली नहीं. हजार वर्षों से भी ज्यादा समय से महामस्तकाभिषेक की परंपरा लगातार चल रही है.