काशी में अपने ज्योतिष अनुभवों से ग्रहों की चाल मापने वाले ज्योतिषशास्त्रियों की नजर में हिंदुस्तान से लेकर विदेश तक जो भी बाढ़ और बारिश का प्रकोप देखने को मिल रहा है, उनके पीछे हैं चार ग्रहों का खेल. ये ग्रह हैं बुध, शुक्र, मंगल और बृहस्पति. सारा किया धरा इन्हीं की चाल का है. किसी की नजर में ये पांच मंगलवार वाले महीने का खेल है.
ज्योतिषाचार्य कामेश्वर उपाध्याय का कहना है कि बुध, शुक्र एक साथ हो जाएं, उनके साथ मंगल, बृहस्पति भी आ जाएं तो भारी जल प्लावन और नुकसान होता है. ज्योतिषाचार्य पवन त्रिपाठी ने बताया कि अगर किसी माह में पांच मंगल आते है तो भारी जलवृष्टि और सीमा पर विवाद होता है.
आपको हैरानी हो सकती है. लेकिन ज्योतिषशास्त्रियों की मानें तो समूचे ब्रह्मांड को 10 ग्रह प्रभावित करते हैं और इस वक्त जो कुछ धरती पर हो रहा है, उसके पीछे है ग्रहों की मौजूदा स्थिति. जिसके चलते समूचे ब्रह्मांड पर इस वक्त कालसर्पदोष का साया है.
यही दोष धरतीवासियों को खून के आंसू रुला रहा है. ज्योतिषाचार्य पवन त्रिपाठी कहते हैं कि दस ग्रहों में से छह पापक ग्रहों के साथ और चार शुभग्रह है. इसके अलावा सभी ग्रह राहु और केतु के बीच हैं. ये कालसर्प योग है. पापक ग्रहों का बोलबाला रहेगा.
ज्योतिषाचार्य आचार्य ऋषि द्विवेदी कहते हैं कि इस वक्त पूरे ब्रह्मांड में कालसर्पदोश लगा है इसलिए जगह जगह देश के बाहर दुनिया में भी आपदा देखने को मिल रही है.
अब तक आपने इंसानों पर कालसर्पदोष के बारे में सुना होगा. लेकिन इस बार हमारी धरती ही कालसर्पदोष से जूझ रही है. ज्योतिषियों की मानें तो केदारनाथ में जो कुछ भी हुआ उसके पीछे भी कालसर्पदोष ही जिम्मेदार है.
ज्योतिषियों के मुताबिक धरती पर कालसर्पदोष का साया अभी 14 अगस्त तक मंडराता रहेगा और तब इसी तरह धरती पर तबाही के मंजर देखने को मिलते रहेंगे.