Tulsidas Jayanti 2025: हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को तुलसीदास जयंती मनाई जाती है. इस बार तुलसीदास जयंती 31 जुलाई यानी कल मनाई जाएगी. तुलसीदास को देश का एक महान कवि कहा जाता है. भगवान राम के प्रति गहरी आस्था और समर्पण के लिए भी इन्हें याद किया जाता है.
तुलसीदास ने अपने पूरे जीवन में कई महत्वपूर्ण ग्रंथ लिखे. लेकिन उनकी सबसे प्रसिद्ध रचना 'रामचरितमानस' है. इसमें भगवान राम की जीवन गाथा इतनी सुंदर और सरल भाषा में बताई गई है कि हर कोई आसानी से इसे समझ सकता है और उससे प्रेरणा ले सकता है. वैसे तो तुलसीदास के जीवन से जुड़े ढेरों किस्से-कहानियां हैं, लेकिन पत्नी रत्नावती के वियोग की कहानी इनमें विशेष स्थान रखती है.
जब शव का सहारा लेकर नदी कर गए तुलसीदास
कहते हैं कि तुलसीदास अपनी पत्नी रत्नावती से अथाह प्रेम करते थे. एक बार रत्नावती अपने मायके गईं थी और तुलसीदास का मन उनसे बिछड़ने को तैयार ही नहीं था. उस वक्त वह इतने व्याकुल हो गए कि एक तूफानी रात में पत्नी से मिलने घर से निकल पड़े. लेकिन पत्नी से मिलना तुलसीदास के लिए आसान नहीं था. बाहर तेजी बारिश हो रही थी. बाढ़ जैसा खतरा था. पत्नी तक पहुंचने के लिए एक नदी भी पार करनी थी और उसके लिए नाव का बंदोबस्त भी नहीं था. तब तुलसीदास को नदी में एक शव बहता हुआ दिखाई दिया. तुलसीदास ने तुरंत उस शव को पकड़ा और उसके सहारे नदी पार कर गए. उनका यह प्रयास पत्नी के प्रति प्रेम को दर्शाता है.
हालांकि उनके इस प्रयास से पत्नी रत्नावती बेहद नाराज हो गईं. उन्हेंं शिकायत थी कि तुलसीदास क्यों उनसे मिलने के लिए इतना आसक्त थे और आधी रात को बिना किसी को बताए मिलने चले आए. रत्नावती ने तुलसीदास से कहा कि यदि इतना ही प्रेम और समर्पण तुमने भगवान राम के प्रति दिखाया होता तो जीवन धन्य हो जाता. इस घटना ने तुलसीदास को आध्यात्मिक पथ पर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया. इसका नतीजा यह निकला कि भक्ति मार्ग आगे चलकर उन्होंने 'रामचरितमानस' जैसे महान ग्रंथ की रचना कर डाली.
तुलसीदास जयंती 2025 पूजन विधि (Tulsidas Jayanti 2025 Pujan Vidhi)
तुलसीदास जयंती के दिन सुबह जल्दी उठकर नहा-धोकर साफ कपड़े पहनें. घर के मंदिर या पूजा के स्थान को अच्छे से साफ करें. अगर आपके पास तुलसीदास जी की तस्वीर या मूर्ति है, तो उसे सजाएं. नहीं तो भगवान राम की तस्वीर भी रख सकते हैं, क्योंकि तुलसीदास जी तो राम के परम भक्त थे. फिर, एक दीपक और धूपबत्ती जलाएं. अगर आपके पास रामचरितमानस की किताब है, तो उसे भी चौकी पर रखें. इसके बाद, रामचरितमानस का पाठ करें. पूजा के बाद भगवान राम और तुलसीदास जी की आरती करें.