कल्पवास 12 वर्षों तक जारी रखने की परंपरा:
पौष पूर्णिमा से कल्पवास आरंभ होता है और माघी पूर्णिमा के साथ संपन्न होता है. एक माह तक चलने वाले कल्पवास के दौरान कल्पवासी को जमीन पर शयन (सोना) करना होता है. इस दौरान श्रद्धालु फलाहार, एक समय का आहार या निराहार रहते हैं. कल्पवास करने वाले व्यक्ति को नियमपूर्वक तीन समय गंगा स्नान और यथासंभव भजन-कीर्तन, प्रभु चर्चा और प्रभु लीला का दर्शन करना चाहिए. कल्पवास की शुरुआत करने के बाद इसे 12 वर्षों तक जारी रखने की परंपरा रही है. हालांकि इसे अधिक समय तक भी जारी रखा जा सकता है.