कई युगों से संस्कृत में लिखा गया यह धार्मिक ग्रन्थ मानवता का मार्गदर्शन करता आया है. धर्म क्या है, मोक्ष क्या है? क्या सही है क्या गलत है, भगवत गीता में सारे सवालों के जवाब है.
इस धर्मग्रन्थ के अंतिम अध्याय में कलियुग को लेकर कुछ भविष्यवाणियां भी की गई हैं.
हालांकि ये भविष्यवाणियां श्रीकृष्ण द्वारा 5000 वर्षों पहले की गई थीं लेकिन आज ये सारी भविष्यवाणियां पूरी तरह सच साबित हो रही हैं. इतने वर्षों पहले लिखे ग्रन्थ में वर्तमान के बारे में जो भी बातें कही गई हैं, बिल्कुल सटीक बैठती हैं.
इसमें धरती के अंत को लेकर भी कई चौंकाने वाली भविष्यवाणियां हैं. आखिरी की स्लाइड्स में पढ़ें धरती के अंत के रहस्य...
कलियुग में धर्म, सच्चाई, स्वच्छता, सहिष्णुता, दया,
जीवनकाल, शारीरिक बल और याद्दाश्त सब कुछ घटता चला जाएगा.
कलियुग में मनुष्य का केवल उसकी दौलत के
आधार पर मूल्यांकन किया जाएगा. कानून और न्याय केवल किसी की शक्ति को देखते
हुए लागू किया जाएगा.
पुरुष और स्त्रियां केवल बाहरी आकर्षण की वजह से साथ रहना शुरू कर देंगे. बिजनेस में सफलता धोखे और बेईमानी पर आधारित हो जाएगी.
पुरुष और स्त्रीत्व का मूल्यांकन सेक्स अपील के तौर पर किया जाएगा.
कोई भी शख्स केवल पवित्र धागा पहनने के आधार पर ब्राह्मण माना जाएगा.
केवल बाहरी प्रतीकों से व्यक्तियों की
आध्यात्मिकता सुनिश्चित की जाएगी. लोग एक आध्यात्मिक व्यवस्था से दूसरी
आध्यात्मिक व्यवस्था को बदलते रहेंगे. एक शख्स की संपत्ति और प्रतिष्ठा पर
सवाल उठाए जाएंगे अगर उसकी कमाई अच्छा नहीं होगी. जो शख्स शब्दों का खेल
खेलने में कुशल होंगे, ऐसे लोगों का बोलबाला रहेगा. ऐसे ही लोगों को कलियुग
में विद्वान समझा जाएगा.
कलियुग में थोड़ी दूर पर स्थित एक जलाशय
को एक पवित्र स्थान की मान्यता मिल जाएगी. केवल पेट भरना ही जीवन का
लक्ष्य रह जाएगा. जो अपने परिवार का भरण-पोषण करने में सक्षम होगा उसे ही
समाज में प्रतिष्ठा हासिल होगी. धर्म के सिद्धांतों का अनुसरण केवल अपनी
प्रतिष्ठा बचाने के लिए किया जाएगा.
अगर किसी शख्स के पास पैसे नहीं हैं तो उसे अपवित्र माना जाएगा. बनावटीपन को एक गुण माना जाएगा. मौखिक समझौतों से शादियां होंगी.
धरती भ्रष्टाचारियों की भीड़ से भर जाएगी. सामाजिक वर्ग से जो भी खुद को सबसे ताकतवर पेश कर पाएगा, उसे ही राजनीतिक शक्ति हासिल होगी.
तरह-तरह के करों से परेशान होकर आम आदमी घास, पत्तियां, मांस, शहद, फल, बीज
खाना शुरू कर देगा. सूखे की वजह से आम आदमी बुरी तरह प्रभावित होगा.
कलियुग में लोग सर्दी, तूफान, गर्मी, बाढ़ और बर्फबारी से परेशान होंगे. झगड़े, भूख, बीमारियां और बेचैनी से लोग प्रताड़ित होंगे.
कलियुग में मनुष्य के जीवनकाल की अवधि अधिकतम उम्र 50 साल हो जाएगी.
लोग अपने बूढ़े मां-बाप की देखभाल करना छोड़ देंगे.
कलियुग में चंद पैसों के लिए लोग एक-दूसरे से नफरत करने लगेंगे. दोस्ती और करीबी रिश्तों को छोड़ देंगे, यहां तक कि वे अपनी और अपने रिश्तेदारों की जान गंवाने के लिए भी तैयार हो जाएंगे.
असभ्य लोग भगवान के नाम पर पवित्रता ग्रहण करने का ढोंग करेंगे और साधु का भेष पहनकर अपनी आजीविका चलाएंगे. जिन्हें धर्म के बारे में कुछ भी ज्ञान नहीं होगा, वे धार्मिक सिद्धांतों की बातें करने का नाटक करेंगे और बड़े-बड़े पदों पर बैठेंगे.
सेवक ऐसे मालिकों की भी आज्ञा का पालन करेंगे जिसने अपनी संपत्ति गंवा दी हो और जिनका कोई चरित्र नहीं हो. मालिक अक्षम सेवकों को नौकरी से निकाल देंगे चाहे वह पीढ़ियों से परिवार की सेवा क्यों ना करता रहा हो.
जब गायें दूध देना बंद कर देंगी तो उनका या तो परित्याग कर दिया जाएगा या फिर उनकी हत्या कर दी जाएगी.
शहरों में चोरों का बोलबाला रहेगा. नास्तिकों और राजनीतिक नेता वेदों की गलत व्याख्या कर उसे दूषित कर देंगे. तथाकथिक पुजारी और बुद्धिजीवी केवल अपने पेट और कामवासना की पूजा करेंगे.
भगवद्गीता के अलावा उस समय के अन्य धार्मिक ग्रन्थों में भी कई भविष्यवाणियां की गई हैं. जैसे- चोर राजा बन जाएंगे और राजा चोर बन जाएंगे. शासक संपत्ति हासिल कर उसका दुरुपयोग करेंगे. वे लोगों की रक्षा करने में असफल रहेंगे. जिसके पास थोड़ा बहुत भी ज्ञान होगा बिना किसी गुण के, उसे भी साधु का दर्जा दे दिया जाएगा.
भविष्यवाणी नंबर 1-
भ्रूण को उनकी मां की कोख में ही मार दिया जाएगा. लोग बुरे विचारों को प्राथमिकता देने लगेंगे. कोई किसी पर भी भरोसा नहीं करेगा. भूख और भय से पीड़ित लोग जमीन के अंदर कहीं शरण लेंगे.
भविष्यवाणी नंबर 2-
युवा लड़कियां अपने कौमार्य का व्यापार करेंगी. बारिश के देवता वर्षा के वितरण में अनियमितता लाएंगे और दुकानदार बेईमानी से अपना व्यापार करेंगे.
अधिकतर लोग कठोर और अश्लील भाषा का इस्तेमाल करेंगे. सबसे धनवान लोग सत्ता पर काबिज होंगे.
ऐसे खत्म होगी दुनिया-
जिसने भी जन्म लिया है, उसे मौत का डर हमेशा सताता है. उसी तरह इस धरती का भी एक दिन अंत होना है. प्रलय के दिन या दुनिया के अंत का दिन तीन तरह से होगा- नैमित्तिका, प्राकृतिक, आत्यांतिक (तुरंत)
विष्णु पुराण 1.8.18-31 दुनिया के विनाश का पहला सिद्धांत-
यह विनाश दक्षिणी महासागर के पानी के भीतर किसी विस्फोट की वजह से होगा. इससे पहले भयंकर सूखा पड़ेगा. नदी, सागर, और जमीन के नीचे का पानी सब सूख जाएगा. 12 सूर्य सभी सागरों को वाष्पित कर देंगे.
सारा पानी सोख जाने के बाद सूरज तीनों लोकों को राख में बदल देगा. धरती कछुए की खोल की तरह कठोर हो जाएगी.
विष्णु पुराण 1.8.18-31 विनाश का दूसरा सिद्धांत-
जमीन के नीचे सांपों के मुख से अग्नि निकलेगी जो पहले पाताल को जला कर रख देगी और फिर पृथ्वी की सतह भी जल जाएगी. वातावरण लपटों से गर्म हो जाएगा. एक तेज आवाज के साथ अग्नि का विस्फोट होगा.
जीव-जन्तु और सभी चीजों का विनाश हो जाएगा. भगवान विष्णु के मुख से तेज
सांस लेने पर मेघ उत्पन्न होंगे जिससे बहुत शोर होगा. आकाश में हाथियों के
झुंड के समान बादल इकठ्ठे हो जाएंगे.
विष्णु पुराण- 1.7.24-40 विनाश का तीसरा सिद्धांत-
घने बादल आकाश को अंधेरे से ढक देंगे और पूरी पृथ्वी को अपने में समाहित कर लेंगे. बादल तेज आवाज के साथ फटेंगे और अग्नि उत्पन्न होंगी जिससे चंद लोग जीवित बचेंगे. इसके बाद लगातार 12 वर्षों तक पृथ्वी पर बाढ़ आती रहेगी और मानवता की अंतिम टुकड़ी का भी विनाश हो जाएगा.
पूरी दुनिया में अंधकार छा जाएगा और पृथ्वी किसी विशाल महासागर की तरह हो जाएगी.
(सोर्स- speaking tree)