भारतीय संस्कृति, इतिहास, मिथक और परंपरा में फूलों की एक अहम भूमिका होती है. पूजा-पाठ हो कोई शुभ काम हो या घर की सजावट, बिना फूलों के ये काम पूरे नहीं किए जा सकते हैं. हिंदू धर्म में देवी-देवताओं को फूल चढ़ाने के साथ ही पूजा की शुरुआत की जाती है.
2/10
‘फ्लावर शॉवर ’नाम की किताब हमारे जीवन में फूलों की इस अभिन्न भूमिका के बारे में बताती है. किताब की लेखिका अलका पांडे इतिहास, कविताओं से होते हुए आपको प्रकृति के बीच ले जाती हैं.
3/10
‘फ्लावर शॉवर’ किताब आपको भारतीय परंपरा औैर प्राकृतिक सुंदरता के और करीब ले जाती है. फूलों की सुगंध और सौंदर्य के बखानों के साथ ये किताब आपको भारतीय संस्कृति में फूलों के योगदान और उनके अहमियत के बारे में बताती है.
Advertisement
4/10
हिंदू शास्त्रों से लेकर पुराणों तक में फूलों और प्रकृति के बीच के अद्भुत मेल का वर्णन किया गया है. किताब पढ़ने के दौरान आप भी अपने आसपास प्रकृति का जीवंत अनुभव महसूस करते हैं.
5/10
पेंटिग्स से लेकर कोणार्क और खजुराहो जैसे मंदिरों की कलाकारी तरह-तरह के फूलों के डिजाइन से ही की गई है. भारत में फूलों के प्रति लोगों का प्रेम मुगलकाल से ही चला आ रहा है.
6/10
सही मायने में मुगलों ने ही पेंटिग्स और आर्किटेक्चर के जरिए फूलों को कलात्मक ढंग पेश करने की परंपरा शुरू की थी.
7/10
फिल्मों से लेकर असल जिंदगी में भी प्रेम दर्शाने का सबसे अच्छा जरिया फूलों को ही माना जाता है. हर फूल का अपना एक रंग होता है और हर रंग की एक कहानी होती है.
8/10
मूड के साथ माहौल को भी खुशनुमा बनाने में भी फूल काम आते हैं. फूल हमारे रोजमर्रा के जीवन में कुछ इस तरह घुले-मिले हैं कि इनके बिना संसार की कल्पना करना ही मुश्किल है.
9/10
‘फ्लावर शॉवर’ किताब में बताया कि हमारे जीवन में फूलों का क्या महत्व है और किस तरह से ये हमारे जीवन में एक रंग भरते हैं.
Advertisement
10/10
फूलों की भूमिका जैसे विषय पर लिखना अलका पांडे के लिए किसी चुनौती से कम नहीं था पर उन्होंने जिस तरीके से इस आम विषय का वर्णन अपने किताब में किया है, वो अद्भुत है.