Surya Grahan 2025: साल 2025 का दूसरा और आखिरी सूर्य ग्रहण अब कुछ ही घंटों बाद लगने जा रहा है. यह खगोलीय घटना कन्या राशि में होने वाली है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सूर्य ग्रहण को शुभ नहीं माना जाता. ज्योतिषाचार्यों का कहना है कि यह आंशिक ग्रहण रहेगा और भारत में दिखाई नहीं देगा. इसी वजह से इसका सूतक काल मान्य नहीं होगा. हालांकि, इस घटना का असर वातावरण और ऊर्जा प्रवाह पर अवश्य पड़ेगा. ग्रहण के समय नकारात्मक शक्तियां बढ़ जाती हैं और चारों ओर असंतुलन का अनुभव होता है.
सूर्य ग्रहण का समय
भारतीय समयानुसार यह सूर्य ग्रहण 21 सितंबर, यानी आज रात 11 बजे से शुरू होगा. इसका समापन देर रात 3 बजकर 23 मिनट पर होगा. ऐसे में सूर्य ग्रहण की कुल अवधि लगभग 4 घंटे 23 मिनट की होगी. इस ग्रहण का सबसे प्रमुख समय या पीक टाइमिंग रात 1 बजकर 11 मिनट पर रहेगी. यही वो समय होगा, जब आसमान में सूर्य ग्रहण का सबसे प्रभावशाली रूप दिखाई देगा.
कहां-कहां दिखेगा यह सूर्य ग्रहण
ज्योतिषियों के अनुसार, यह सूर्य ग्रहण भारत से प्रत्यक्ष रूप से नहीं देखा जा सकेगा. लेकिन दुनिया के अन्य हिस्सों में यह स्पष्ट रूप से नजर आएगा. विशेष रूप से यह ग्रहण ऑस्ट्रेलिया के सिडनी, होबार्ट, न्यूजीलैंड के ऑकलैंड और वेलिंग्टन, नॉरफॉक द्वीप के किंग्स्टन, क्राइस्टचर्च, फिजी और आस-पास के द्वीपों में दिखाई देगा.
कब लगता है सूर्य ग्रहण?
जब चंद्रमा पृथ्वी की परिक्रमा करते हुए सूर्य और पृथ्वी के बीच आ जाता है, तो कुछ क्षणों के लिए सूर्य की रोशनी पृथ्वी तक नहीं पहुंच पाती है. इस खगोलीय घटना को ही सूर्य ग्रहण कहा जाता है. सूर्य ग्रहण तीन प्रकार के होते हैं पहला पूर्ण सूर्य ग्रहण, जब सूर्य पूरी तरह से ढक जाता है. दूसरा आंशिक सूर्य ग्रहण, जब सूर्य का केवल कुछ भाग ढकता है. वलयाकार सूर्य ग्रहण, जब सूर्य के बीच का हिस्सा ढक जाता है और किनारों पर अंगूठी जैसा आकार दिखाई देता है.
122 वर्षों बाद बना दुर्लभ संयोग
ज्योतिषियों का मानना है कि यह सूर्य ग्रहण एक अद्वितीय खगोलीय संयोग लेकर आया है. दरअसल, इस बार पितृपक्ष की शुरुआत चंद्र ग्रहण से हुई और समापन सूर्य ग्रहण पर हो रहा है. इस तरह 15 दिनों में लगातार दो ग्रहण पड़ना बेहद दुर्लभ है. इससे पहले ऐसा संयोग 122 साल पहले बना था. इसी महीने 7 सितंबर को चंद्र ग्रहण लगा था, जो भारत में दिखाई दिया था.
सूर्य ग्रहण के साय में शारदीय नवरात्र
ग्रहण का समय शारदीय नवरात्र से ठीक पहले पड़ रहा है. ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, चूंकि यह ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा, इसलिए इसका सूतक काल मान्य नहीं होगा. इस वजह से 22 सितंबर से शुरू होने वाले शारदीय नवरात्र पर भी किसी प्रकार का नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ेगा. भक्तजन नवरात्र के शुभारंभ में बिना किसी चिंता के माता दुर्गा की पूजा-अर्चना कर सकेंगे.
सूर्य ग्रहण के दौरान क्या करें?
हिंदू मान्यताओं के अनुसार, इस दौरान ध्यान, जप और मंत्रोच्चारण करना अत्यंत लाभकारी माना जाता है. हालांकि, चूंकि यह ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा, इसलिए यहां पर सूतक काल लागू नहीं होगा और पूजा-पाठ सामान्य रूप से चलते रहेंगे.
सूर्य ग्रहण के बाद क्या करें?
धार्मिक परंपराओं के अनुसार, ग्रहण काल को शुभ नहीं माना जाता. यह समय देवताओं के लिए भी कष्टकारी माना जाता है और वातावरण में नकारात्मकता का प्रभाव बढ़ जाता है. ऐसे में ग्रहण समाप्त होते ही घर की अच्छी तरह सफाई करनी चाहिए. गंगाजल का छिड़काव पूरे घर और पूजा स्थल में करने से वातावरण शुद्ध होता है. इसके बाद स्नान करके भगवान की आराधना करना चाहिए.