Pitru Paksha 2025: हिंदू धर्म में पितृपक्ष का खास महत्व बताया गया है. यह काल पूर्वजों को श्रद्धांजलि अर्पित करने और उनके आशीर्वाद प्राप्त करने का अवसर माना जाता है. इस साल पितृपक्ष की शुरुआत 7 सितंबर 2025 से हो चुकी है और इसका समापन 21 सितंबर 2025 को सर्वपितृ अमावस्या के दिन होगा.
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस दौरान लोग अपने पितरों के लिए श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान करते हैं. ऐसा करने से पितृ प्रसन्न होते हैं और परिवार पर सदैव अपनी कृपा बरसाते हैं. माना जाता है कि यदि कोई व्यक्ति पितृपक्ष के दौरान तर्पण और श्राद्ध नहीं करता है तो पितृ अप्रसन्न हो सकते हैं, जिससे जीवन में पितृ दोष उत्पन्न होता है. ऐसे में पंडित प्रवीन मिश्रा ने पितृपक्ष में किए जाने वाले कुछ विशेष उपायों के बारे में बताया है, जिन्हें अपनाने से जातक पितृ दोष से राहत पा सकता है.
दक्षिण दिशा की ओर मुख करके करें जल अर्पण
पंडित प्रदीप मिश्रा के अनुसार, पितृपक्ष के दौरान रोजाना पितरों को जल अर्पण अवश्य करना चाहिए. जल अर्पित करते समय दक्षिण दिशा की ओर मुख करें, क्योंकि इसे पितरों की दिशा माना गया है. मान्यता है कि इससे पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और घर-परिवार की उन्नति का मार्ग खुलता है.
सर्वपितृ अमावस्या पर विशेष उपाय
पितृपक्ष के अंतिम दिन यानी सर्वपितृ अमावस्या का विशेष महत्व है. इस दिन उन पितरों का श्राद्ध किया जाता है जिनकी मृत्यु तिथि ज्ञात नहीं होती है. पंडित प्रवीन मिश्रा के अनुसार, इस दिन पांच गरीब या जरूरतमंद लोगों को 3-3 किलो चावल का दान करना चाहिए.
चावल के साथ सफेद वस्त्र और दक्षिणा भी दें. दान करने से पहले अपने पितरों का स्मरण करें और उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करें. मान्यता है कि इस उपाय को करने से परिवार में चल रही धन की कमी दूर होती है, घर में सुख-शांति आती है और पितृ सदैव प्रसन्न रहते हैं.