Paush Month 2025: मार्गशीर्ष माह की समाप्ति के साथ ही 5 दिसंबर 2025 से हिंदू पंचांग के अनुसार पौष माह का आरंभ हो जाएगा. धार्मिक मान्यताओं में पौष माह का विशेष महत्व बताया गया है. शास्त्रों में इस माह को “छोटा पितृ पक्ष” भी कहा गया है, क्योंकि इस अवधि में किए गए श्राद्ध, तर्पण, दान आदि अत्यंत फलदायी माने जाते हैं. ऐसा माना जाता है कि पौष माह में पितरों के लिए किया गया कोई भी पुण्यकर्म तेजी से फल देता है.
पौष माह का धार्मिक महत्व
इस माह में किए गए तर्पण और दान से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है. गृहस्थ जीवन में सुख-समृद्धि बढ़ती है. इसी कारण इस अवधि में शुभ और मांगलिक कार्य जैसे विवाह, गृह प्रवेश, नामकरण वगैरह निषिद्ध माने जाते हैं. पौराणिक मान्यता के अनुसार पौष मास की पूर्णिमा के दिन चंद्रमा पुष्य नक्षत्र में स्थित होता है, इसी कारण इस मास का नाम पौष पड़ा. यह समय आध्यात्मिक साधना, देव-पूजन, दान-पुण्य और पितृ तर्पण के लिए अत्यंत शुभ माना गया है. इस माह कुछ उपाय भी बेहद शुभ फल देते हैं.
पीपल के वृक्ष के नीचे दीपक जलाना
पौष माह में प्रतिदिन या विशेष तिथियों पर पीपल के पेड़ के नीचे काला तिल अर्पित करें. सरसों के तेल का दीपक जलाकर परिक्रमा करें. ऐसा करने से पितृ दोष दूर होता है. परिवार की शांति और स्थिरता बढ़ती है. पितर प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते हैं.
ब्राह्मण भोजन और दान
पौष माह में ब्राह्मणों को घर बुलाकर भोजन कराना, उन्हें दक्षिणा, वस्त्र या कंबल दान देना अत्यंत पुण्यकारी माना गया है. यह पितरों की तृप्ति का श्रेष्ठ माध्यम है . इससे घर में लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है.
पितृ स्तोत्र एवं धार्मिक पाठ
पितृ स्तोत्र का नित्य पाठ करें. श्रीमद् भागवत के गजेंद्र मोक्ष अध्याय का पाठ विशेष फलदायी माना गया है. पशु-पक्षियों को भोजन कराना भी पितरों की प्रसन्नता का एक सरल और पवित्र उपाय है.
शनिदेव को शांत करने के उपाय
शनिवार को काले कुत्ते को उड़द की रोटी खिलाने से पितृ दोष दूर होने की मान्यता है. यह उपाय जीवन में आ रही रुकावटों, करियर बाधाओं और मानसिक तनाव को भी कम करता है.
पौष माह को छोटा पितृ पक्ष कहा गया है, इसलिए इस मास में पितृ कार्य अत्यंत शुभ और फलदायी माने जाते हैं. शास्त्रों में बताया गया है कि तीन तिथियां विशेष रूप से पितरों के लिए समर्पित हैं
पौष संक्रांति: सूर्य के एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करने का यह दिन अत्यंत पवित्र माना जाता है. इस दिन तर्पण एवं दान करने से पितरों को विशेष संतुष्टि मिलती है. संक्रांति पर तिल, गुड़, कंबल और दक्षिणा का दान अत्यंत शुभ माना गया है.
पौष अमावस्या: अमावस्या को पितृ तर्पण की सर्वोत्तम तिथि माना जाता है. इस दिन काला तिल, जल, दूध और कुशा से तर्पण करने पर पितरों की कृपा शीघ्र प्राप्त होती है. घर के वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है, बाधाएं दूर होती हैं.
पौष पूर्णिमा: पौष पूर्णिमा पर चंद्रमा पुष्य नक्षत्र में स्थित होता है, इसी कारण यह माह पौष कहलाता है. इस दिन पितृ स्तोत्र, गजेंद्र मोक्ष का पाठ तथा दीपदान अत्यंत फलदायी होता है.