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Kartik Maas: कार्तिक के महीने में भूलकर भी ना करें तुलसी पूजा से जुड़ीं ये गलतियां

Kartik Maas: कार्तिक के महीने को बेहद अहम माना गया है. इस दौरान दीपदान करना शुभ होता है. माना गया है कि ऐसा करने से मनुष्य के सारे पाप नष्ट होते हैं. इस महीने में तुलसी की पूजा का भी विधान है. ऐसा माना जाता है कि इसी महीने में भगवान विष्णु योग निद्रा से जागते हैं. सृष्टि में आनंद और कृपा की वर्षा होती है.

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तुलसी का विशेष महत्व (PC: Getty Images)
तुलसी का विशेष महत्व (PC: Getty Images)

Kartik Maas: पुराणों एवं शास्त्रों में कार्तिक के महीने को बेहद अहम माना गया है. इस दौरान दीपदान करना शुभ होता है. माना गया है कि ऐसा करने से मनुष्य के सारे पाप नष्ट होते हैं. इस मास में कई शुभ पर्वों की भी धूमधाम मची रहती है. मान्यता अनुसार इस महीने में जो मनुष्‍य देवालय, नदी किनारे, तुलसी के समक्ष एवं अपने शयन कक्ष में दीप लगाता है, उसे सभी प्रकार के सुख प्राप्त होते हैं. ये महीना विष्णु भगवान को सबसे प्रिय होता है.

साथ ही इस महीने में तुलसी की पूजा का भी विधान है. ऐसा माना जाता है कि इसी महीने में भगवान विष्णु योग निद्रा से जागते हैं. सृष्टि में आनंद और कृपा की वर्षा होती है. इस महीने में मां लक्ष्मी धरती पर भ्रमण करती हैं और भक्तों को अपार धन देती हैं. इस महीने में धन और धर्म दोनों से संबंधित कई प्रयोग और नियम हैं. 

कार्तिक मास के महीने में तुलसी का महत्व

तुलसी का पौधा किसी भी बृहस्पतिवार को लगा सकते हैं, हालांकि कार्तिक का महीना इसके लिए सर्वोत्तम है. कार्तिक के महीने में तुलसी के पौधे की पूजा और तुलसी विवाह सारी मनोकामनाओं को पूर्ण कर देता है. तुलसी का पौधा घर या आगन के बीचों बीच लगाना चाहिए या अपने शयन कक्ष के पास की बालकनी में लगा सकते हैं. प्रातःकाल तुलसी के पौधे में जल डालकर, इसकी परिक्रमा करनी चाहिए.

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नियमित रूप से सायंकाल इसके नीचे घी का दीपक जलाना सर्वोत्तम होता है. ऐसा माना जाता है कि कार्तिक के महीने में तुलसी की पूजा ब्रह्म मुहूर्त में ही करनी चाहिए. तुलसी का दान करना करना सबसे श्रेष्ठ माना जाता है. पूजा के साथ तुलसी पूजा के मंत्रों का उच्चारण भी करना चाहिए. मंगलवार को तुलसी हनुमान जी को चढ़ाने से धन प्राप्ति होती है. कार्तिक मास में अगर खाने में तुलसी का प्रयोग किया जाए तो खाना की कभी कमी नहीं होती है.

तुलसी पूजा की सावधानियां 

तुलसी के पत्ते हमेशा प्रातः काल ही तोड़ने चाहिए. अन्य समय पर नहीं तोड़ने चाहिए. रविवार के दिन तुलसी के नीचे दीपक नहीं जलाने चाहिए. भगवान विष्णु और इनके अवतारों को तुलसी दल जरूर अर्पित करें.  भूलकर भी भगवान गणेश और मां दुर्गा को तुलसी अर्पित न करें. तुलसी के पत्ते कभी बासी नहीं होते हैं. पुराने पत्तों को पूजा में प्रयोग किया जा सकता है. 

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