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Chhath Puja 2025: कब है छठ पूजा, जानें नहाए- खाए से लेकर सूर्योदय अर्घ्य का शुभ मुहूर्त

Chhath Puja 2025: छठ पूजा इस साल 25 अक्टूबर से 28 अक्टूबर तक मनाया जाएगा. यह पर्व सूर्य देव और छठी मैया को समर्पित है और इसकी शुरुआत नहाए-खाए से होती है. इसके बाद आते हैं खरना, संध्या अर्घ्य, और पर्व का समापन उषा अर्घ्य और पारण. जानते हैं छठ का चार दिनों का पूरा शेड्यूल

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चार दिनों तक मनाया जाता है छठ पर्व (Photo: Pexel)
चार दिनों तक मनाया जाता है छठ पर्व (Photo: Pexel)

Chhath Puja 2025: कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से लेकर सप्तमी तक चार दिनों तक मनाया जाने वाला पर्व छठ इस बार 25 अक्टूबर से शुरू होगा, और यह 28 अक्टूबर को समाप्त होगा. देवी छठी मैया सूर्य देव की बहन और शक्ति स्वरूपा हैं. मान्यता है कि छठी मैया की पूजा करने से परिवार की रक्षा, स्वास्थ्य, सफलता और लंबी आयु का आशीर्वाद मिलता है. यह ब्रह्मा जी की मानस पुत्री या प्रकृति का छठा अंश मानी जाती हैं. जानते हैं छठ पूजा 2025 की पूजा विधि और बाकी जानकारी डिटेल में

नहाए- खाए

नहाए- खाए छठ पूजा का पहला दिन होता है. छठ पूजा के पहले दिन घर, नदी या तालाब में स्नान किया जाता है. इस बार नहाए-खाए 25 अक्टूबर को मनाया जाएगा. नहाए -खाए के दिन सूर्योदय, सुबह 6 बजकर 28 मिनट पर और सूर्यास्त शाम 5 बजकर 42 मिनट पर होगा.

खरना

खरना छठ पूजा का दूसरा दिन होता है. इस बार खरना शनिवार 25 अक्टूबर को मनाया जाएगा. सूर्योदय 6 बजकर 29 मिनट और सूर्यास्त 5 बजकर 41 मिनट पर होगा. बता दें कि छठ के दूसरे दिन निर्जला व्रत रखा जाता है. दिनभर बिना जल और अन्न के रहने के बाद, शाम को सूर्यास्त के समय गुड़ और चावल की खीर या पूड़ी का प्रसाद खाया जाता है. इसी के साथ 36 घंटे के निर्जला व्रत की शुरुआत होती है. 

षष्ठी- संध्या अर्घ्य

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षष्ठी या छठ पूजा का तीसरा दिन छठ पूजा का मुख्य दिन है. इस दिन व्रती नदी या तालाब के किनारे घाट पर इकट्ठा होते हैं. शाम के समय सूर्यास्त होते ही व्रती डूबते सूर्य को अर्घ्य देते हैं और छठी मैया की पूजा करते हैं. इस दिन बांस की टोकरी में ठेकुआ, फल, नारियल, गन्ना और अन्य पारंपरिक प्रसाद सजाए जाते हैं. बता दें कि इस बार षष्ठी सोमवार 27 अक्टूबर को मनाया जाएगा. इस दिन सूर्योदय 6 बजकर 30 मिनट और सूर्यास्त 5 बजकर 40 मिनट पर होगा.

उषा अर्घ्य और पारण 

यह छठ पूजा का अंतिम दिन होता है, इस दिन व्रती सूर्योदय से पहले घाट पर पहुंचते हैं और उगते हुए सूर्य को दूसरा और अंतिम अर्घ्य देते हैं. इसके बाद प्रसाद ग्रहण कर व्रत का पारण किया जाता है. इस बार उषा अर्घ्य और पारण मंगलवार 28 अक्टूबर को मनाया जाएगा. सूर्योदय 6 बजकर 30 मिनट और सूर्यास्त  5 बजकर 39 मिनट पर होगा. 

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