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बैसाखी: 'सोना' उगलती है मिट्टी, 13 अप्रैल से ये है खास नाता...

आज बैसाखी है. सालों से मनाए जा रहे इस त्‍योहार के पारंपरिक महत्‍व को आप भी जानिए...

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बैसाखी
बैसाखी

आज पूरे देश में बैसाखी का पर्व मनाया जा रहा है. आप भी जानिए आखिर क्‍यों ये पर्व हर साल अप्रैल माह में ही मनाया जाता है. इसका किसानों से क्‍या नाता है और इस दिन मौसम में किस तरह के बदलाव आते हैं...

कैसे पड़ा बैसाखी नाम
बैसाखी के समय आकाश में विशाखा नक्षत्र होता है. विशाखा नक्षत्र पूर्णिमा में होने के कारण इस माह को बैसाखी कहते हैं. कुल मिलाकर, वैशाख माह के पहले दिन को बैसाखी कहा गया है. इस दिन सूर्य मेष राशि में प्रवेश करता है, इसलिए इसे मेष संक्रांति भी कहा जाता है.

आज है बैसाखी, जानिये क्यों कहते हैं इसे किसानों का त्यौहार...

हर साल 13 या 14 अप्रैल को ही क्‍यों मनाते हैं बैसाखी
बैसाखी त्यौहार अप्रैल माह में तब मनाया जाता है, जब सूर्य मेष राशि में प्रवेश करता है. यह घटना हर साल 13 या 14 अप्रैल को ही होती है.

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कृषि का उत्सव है बैसाखी
सूर्य की स्थिति परिवर्तन के कारण इस दिन के बाद धूप तेज होने लगती है और गर्मी शुरू हो जाती है. इन गर्म किरणों से रबी की फसल पक जाती है. इसलिए किसानों के लिए ये एक उत्सव की तरह है.

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किसानों के लिए सोना है गेहूं
चूंकि हमारा देश कृषि प्रधान देश है इसलिए बैसाखी पर गेहूं की कटाई शुरू हो जाती है. गेहूं को पंजाब के किसान कनक यानी सोना भी कहते हैं. ये फसल उनके लिए सोना होती है, जिसमें उनकी मेहनत का रंग दिखायी देता है.

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