scorecardresearch
 

Mokshada Ekadashi: मोक्षदा एकादशी आज, इस पूजन विधि से मिलता है मोक्ष

मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी को भगवान कृष्ण ने कुरुक्षेत्र के मैदान में अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था इसलिए इसी दिन को गीता जयंती के नाम से मनाया जाता है. गीता मात्र एक पुस्तक नहीं है बल्कि यह उपदेशों का जीवंत स्वरुप है अतः इसकी जयंती मनाई जाती है. इसके उपदेश आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं जितने पूर्व में थे.

Advertisement
X
 मोक्षदा एकादशी आज
मोक्षदा एकादशी आज
स्टोरी हाइलाइट्स
  • मोक्षदा एकादशी आज
  • मोक्ष की प्राप्ति के लिए पूजन का दिन
  • इस दिन को गोती जयंती भी कहते हैं

25 दिसम्बर यानी आज मोक्षदा एकादशी मनाई जा रही है. मोक्षदा एकादशी मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी को आती है. इस एकादशी पर भगवान विष्णु की पूजा की जाती है. मोक्षदा एकादशी का अर्थ है मोह का नाश करने वाली. इस दिन को मोक्ष प्राप्ति का दिन भी कहा जाता है. इसी दिन भगवान कृष्ण ने अर्जुन को गीता का ज्ञान दिया था. इसलिए इसे गीता जयंती भी कहते हैं. आज के दिन पूजा उपासना से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति सम्भव होती है. इस दिन दान का फल अनंत गुना मात्र में प्राप्त होता है. 

मोक्षदा एकादशी की पूजा विधि

इस दिन भगवान विष्णु और उनके कृष्ण अवतार दोनों की पूजा की जाती है. एकादशी के दिन प्रात:काल उठकर स्नान कर साफ वस्त्र पहने और व्रत का संकल्प लें. एक चौकी पर पीला कपड़ा बिछाएं और भगवान विष्णु और कृष्ण की स्थापना करें. लाल या पीले कपड़े में लपेट कर गीता की नई प्रति भी स्थापित करें. अब फल, मिष्ठान्न और पंचामृत अर्पित करें और श्री कृष्ण के मन्त्रों का जाप करें. गीता का सम्पूर्ण पाठ या अध्याय 11 का पाठ करें. अंत में अपनी कामनापूर्ति की प्रार्थना करें.

मोक्षदा एकादशी का महत्व 

मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी को भगवान कृष्ण ने कुरुक्षेत्र के मैदान में अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था इसलिए इसी दिन को गीता जयंती के नाम से मनाया जाता है. गीता मात्र एक पुस्तक नहीं है बल्कि यह उपदेशों का जीवंत स्वरुप है अतः इसकी जयंती मनाई जाती है. इसके उपदेश आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं जितने पूर्व में थे. मान्यता है कि इस दिन गीता के पाठ से मुक्ति मोक्ष और शान्ति का वरदान मिलता है. गीता के पाठ से जीवन की ज्ञात अज्ञात समस्याओं से मुक्ति मिल जाती है.

Advertisement


 

 

Advertisement
Advertisement