फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है. हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह इसी दिन हुआ था. इस साल 11 मार्च को महाशिवरात्रि का त्योहार मनाया जाएगा. भगवान शिव की कृपा और आशीर्वाद पाने के लिए शिवरात्रि का दिन बेहद खास माना जाता है.
हालांकि, ज्योतिषविदों के मुताबिक, इस साल महाशिवरात्रि का पर्व पंचक के बीच मनाया जाएगा. घनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वा भाद्रपद, उत्तरा भाद्रपद और रेवती इन पांच नक्षत्रों के संयोग को पंचक कहा जाता है. ज्योतिष में पंचक काल को शुभ नहीं माना जाता है.
कब लगता है पंचक- पंचक निर्माण तभी होता है जब चन्द्रमा कुंभ और मीन राशि में गोचर करते हैं. शास्त्रों में पंचक के दौरान कुछ खास कर्मकांड वर्जित माने जाते हैं. यानी महाशिवरात्रि के शुभ महोत्सव पर अगर पंचक लग रहा है तो इस दौरान भी कुछ कार्यों की एकदम मनाही होगी.
कब से कब तक है पंचक- पंचक गुरुवार, 11 मार्च को सुबह 9 बजकर 21 मिनट से शुरू होकर मंगलवार, 16 मार्च को सुबह 4 बजकर 44 मिनट पर समाप्त होगा.
पंचक में क्या करें क्या न करें- शास्त्रों के अनुसार पंचक में दक्षिण दिशा की तरफ यात्रा करना वर्जित माना जाता है. इस दिशा की ओर यात्रा करने से बड़ी हानि हो सकती है.
लकड़ी का सामान- पंचक में लकड़ी का सामान खरीदना वर्जित माना जाता है. इस दिन भूलकर भी लकड़ी का फर्नीचर या इस्तेमाल होने वाली वस्तुएं खरीदने से बचना चाहिए.
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शुभ कार्यों पर रोक- पंचक में दुकान, मकान या कार्यस्थल की छत का निर्माण करना अशुभ होता है. घर में किसी भी प्रकार के शुभ कार्यों पर भी रोक होती है.
मृत्यु- पंचक में किसी व्यक्ति की मृत्यु होने पर परिवार के अन्य सदस्यों पर भी मृत्यु का खतरा मंडराता है या फिर मृत्यु तुल्य कष्ट होने का डर होता है.
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चारपाई- पंचक के दौरान चारपाई बनवाना या खरीदना भी बेहद अशुभ माना जाता है. इसलिए ऐसा कोई भी कार्य करने से बचना चाहिए.