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चंबल नदी में एक-एक करके फेंक दीं सैकड़ों भेड़ें, हैरान कर देने वाला है ये VIDEO

Video Viral: हैरान कर देने वाला यह वीडियो चंबल नदी पर बने एक पुल का है. इस वीडियो में देखा जा सकता है कि चरवाहे एक के बाद एक भेड़ों को उठा-उठाकर तकरीबन 35-40 फीट ऊंचे पुल से गहरी नदी में फेंकते जा रहे हैं.

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पुल से चंबल नदी में फेंकी गई भेड़ें.
पुल से चंबल नदी में फेंकी गई भेड़ें.
स्टोरी हाइलाइट्स
  • राजस्थान के बूंदी जिले का यह वाकया
  • 40 फीट ऊंचे पुल से चंबल में फेंक दी भेड़ें
  • राहगीरों ने रिकॉर्ड किया वीडियो

नदी में भेड़ों को फेंके जाने का एक वीडियो सामने आया है. इसमें देखा जा सकता है कि काफी ऊंचे पुल पर खड़े कुछ लोग एक-एक करके भेड़ों को नदी में फेंक रहे हैं. करीब 40 फीट ऊंचाई से पानी में गिरने वाली बेजुबान भेड़ें भी बुरी तरह मिमियाती नजर आ रही हैं. हैरानी भरा यह वाकया राजस्थान के बूंदी जिले स्थित लाखेरी रोटेदा इलाके में चंबल नदी पर बने पुल का बताया जा रहा है. 

दरअसल, बेरहमी से भेड़ों को नदी में फेंकने की घटना को आसपास से गुजर रहे राहगीरों ने अपने-अपने मोबाइल कैमरों में कैद कर किया. जब भेड़ों को फेंकने वाले लोगों से इसके पीछे की वजह पूछी गई तो पूरा मामला कुछ और ही निकला. 

असल में भेड़ों को पुल से नीचे नदी में फेंकने वाले लोग गड़रिए थे और सैकड़ों भेड़ें उन्हीं की थीं. उन्होंने बताया कि भीषण गर्मी से बचाने के लिए भेड़ों को पानी में डुबकी लगवाना बहुत जरूरी हो जाता है. और भेड़ें हांकने से कभी पानी में नहीं उतरतीं, इसलिए सुनियोजित तरीके से उन्हें इकट्ठा करके पुल पर लाया जाता है और फिर एक के बाद एक जल्द जल्दी पानी में फेंक दिया जाता है. वहीं, भेड़ें भी आसानी से तैरते हुए खुद ही किनारे पर पहुंच जाती हैं. देखें Video: 

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ऊन की वजह से ज्यादा गर्मी 

बताया गया कि जला देने वाली गर्मी में भेड़ों के लिए बड़ी परेशानी खड़ी हो जाती है, क्योंकि उनके शरीर पर ऊन ही ऊन होता है. वहीं, बड़े झुंड पर पानी का छिड़काव करने के भी कोई संसाधन नहीं होते, इसलिए इसी गर्मी से निजात दिलाने के लिए भेड़ों को पुल के ऊपर से पानी में फेंक दिया जाता है. बता दें कि ऊन की वजह से भेड़ें पानी में डूबती भी नहीं हैं और उन्हें तैरना भी आता है, इसलिए अपने आप वो किनारे लग जाती हैं. 

मानसून में घर वापसी

राजस्थान की तपती और चिलचिलाती गर्मी में गड़रिए अपने अपने इलाकों से हजारों भेड़ों को लेकर निकलते हैं और चंबल नदी के आसपास के इलाके में ले जाते हैं ताकि इन जानवरों को दाना पानी मिलता रहे. वहीं, जब जून के आखिर तक मानसून आ जाता है तो पूरे के पूरे झुंड की अपने इलाकों में वापसी होने लगती है.          

 

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