
राजस्थान के पाली जिले के छोटे से गांव गिरादड़ा में कुछ महिलाओं ने आत्मनिर्भर बनने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है. गांव की कुछ महिलाओं ने सेनेटरी नैपकिन बनाने की मशीन लगाई है. साथ ही नैपकिन सैनिटाइज के लिए यूवी स्टेरिलाइजर मशीन भी लगाई गई है. इससे बैक्टीरिया खत्म हो जाते हैं और नेपकिन की स्वच्छता बनी रहती है.
यह काम गांव की 40 महिलाएं मिलकर कर रही हैं. सेनेटरी पैड मशीन बनाने वाले अरुणाचलम मुरुगनंतम ने बताया कि ''जब मेरी मां ने मुझे टेबल पर रखे सेनेटरी-नैपकिन के साथ देखा, तो वह चिल्लाने लगी और रोने लगी. पूरे गांव ने इकट्ठा होकर यह अफवाह फैला दी कि मैंने लड़कियों का खून पिया है."
ये कहना है, सेनेटरी पैड मशीन बनाने वाले अरुणाचलम मुरुगनंतम का. वह आज भी भारत के सबसे सफल सोशल आंत्रप्रेन्योर्स में शामिल हैं.

अरुणाचलम की कहानी पर बनी थी फिल्म पैडमैन
अरुणाचलम ने शादी के बाद अपनी पत्नी को पीरियड के दौरान कपड़े का इस्तेमाल करते देखा था. तब उन्होंने महिलाओं की समस्या को देखते हुए पैड बनाने की मशीन बनाने का प्लान किया था. अरुणाचलम के जीवन पर डायरेक्टर आर बाल्की ने फिल्म पैडमैन बनाई थी. फिल्म के हीरो अक्षय कुमार ने पीरियड के दौरान पैड का यूज करने के लिए जागरूक किया था.
यह फिल्म 2018 में रिलीज हुई थी. इसके बाद पीरियड के बारे में खुलकर बात होने लगी. पैड की जगह कपड़ा यूज करने से होने वाले संक्रमण और बीमारियों के बारे में महिलाओं को जागरूक किया जाने लगा. अब गांवों में भी महिलाएं पैड यूज करने से हिचकिचाती नहीं है. खुलकर इसके बारे में बात भी करती हैं और साथ ही इसे बनाने का काम भी करती है.
कमाई से चल रहा है घर का खर्च
ऐसा ही जागरूकता पाली की महिलाओं में भी आई है. अक्षय कुमार की पैडमैन फिल्म देखकर पाली की महिलाओं ने भी पैड बनाने का काम शुरू किया था. आज भी सभी पैडवुमेन मिलकर न केवल पैड बना रही हैं बल्कि गांव-गांव जाकर सस्ते दामों में बेचती भी हैं. काम से महीने का 5 से 7 हजार रुपए कमाकर घर खर्च भी चला रही हैं.