अलवर पुलिस ने धर्मांतरण के बड़े खेल का पर्दाफाश करते हुए एक इसाई मिशनरी से जुड़े हॉस्टल पर छापा मारा और वहां से 52 बच्चों को मुक्त करवाया. ये बच्चे अलग-अलग राज्यों से लाकर रखे गए थे और उन्हें शिक्षा के नाम पर ईसाई धर्म की शिक्षा दी जा रही थी. छापे के दौरान पुलिस को देखते ही कई बच्चे हॉस्टल की दीवार कूदकर भागने लगे, जिससे पूरा मामला उजागर हो गया.
पुलिस ने मौके से गुजरात के अहमदाबाद निवासी अमृत और अलवर जिले के रामगढ़ निवासी सोनू रायसिख को गिरफ्तार किया. यह हॉस्टल एक एनजीओ के जरिए संचालित हो रहा था, जो तमिलनाडु में रजिस्टर्ड है और देश के विभिन्न हिस्सों से फंडिंग प्राप्त करता है. जांच में सामने आया कि इस एनजीओ का नेटवर्क राजस्थान, गुजरात, तमिलनाडु समेत कई राज्यों में फैला हुआ है.
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पुलिस के अनुसार, गरीब परिवारों के बच्चों को पैसे और सामान का लालच देकर हॉस्टल में रखा जाता था और वहां उन्हें धर्मांतरण की गलत शिक्षा दी जाती थी. बरामद बच्चों में राजस्थान, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और हनुमानगढ़ सहित कई राज्यों के बच्चे शामिल हैं.
पुलिस की गिरफ्त में आए आरोपी अमृत ने पुलिस को बताया कि वह साल 1999 में धर्म परिवर्तन कर चुका है और तब से बच्चों को ईसा मसीह के संदेश और कहानियां सुनाता आ रहा है. उसने यह भी खुलासा किया कि उसके अपने बच्चे देहरादून के एक महंगे स्कूल में पढ़ते हैं.
मामले में SP ने कही ये बात
एसपी सुधीर चौधरी ने बताया कि यह नेटवर्क काफी बड़ा है और पुलिस को अब कई अहम जानकारियां हाथ लगी हैं. पुलिस ने इस पूरे रैकेट की गहन जांच शुरू कर दी है और अन्य शहरों में भी दबिश दी जा रही है. गौरतलब है कि कुछ समय पहले सीकर में भी इसी तरह के एनजीओ द्वारा धर्मांतरण का मामला सामने आया था.
पुलिस का मानना है कि गिरफ्तार दोनों आरोपियों के खिलाफ पहले भी कई गंभीर आरोप दर्ज हो चुके हैं. फिलहाल पुलिस इस पूरे मामले को देशव्यापी नेटवर्क से जोड़कर जांच कर रही है और जल्द ही और गिरफ्तारियां संभव हैं.