कल तक जो लालू प्रसाद और नीतीश कुमार एक दूसरे को गालियां देते थे, आज उन्हें राजनीतिक मजबूरियों की वजह से साथ आना पड़ा. क्या ये वाकई नरेंद्र मोदी की जीत है?