ज़रा सोचिए, आप क्या खाएंगे? यह सवाल इसलिए उठाया जा रहा है, क्योंकि खाने-पीने के हर सामान में तो मुनाफाखोरी का ज़हर घुलता जा रहा है. खतरनाक रसायनों की मिलावट से ना तो साग-सब्ज़ी खाने वाले बचे हैं और ना ही मांसाहार के शौकीन. जिन लोगों को लग रहा है कि मछली खाने में कोई खतरा नहीं, अब उनके लिए भी मुनाफाखोरों ने बजा दी है खतरे की घंटी.