इतिहास ने सुबकते हुए करवट बदली, पुरानी बातों को भुलाने की कोशिश की और एक नया हिरोशिमा तैयार हुआ.लेकिन इस हिरोशिमा की कब्र में आज भी 6 अगस्त 1945 के दर्द, दुख और आंसू घुले हुए हैं.