अतुल सुभाष ने 9 दिसंबर को अपनी जान देने से पहले 81 मिनट का एक वीडियो रिकॉर्ड किया था और 24 पन्नों का एक नोट छोड़ा था. उस नोट में उनकी अंतिम ख्वाहिश थी कि जब तक अदालत से उचित न्याय न मिले, उनकी अस्थियों का विसर्जन न किया जाए. परिवार ने उनकी इस आखिरी इच्छा का सम्मान करते हुए अस्थियों को घर पर एक पोटली में रखा हुआ है. चार्जशीट दाखिल करने में आठ महीनों की देरी हुई, और पहली सुनवाई भी एक साल से अधिक समय तक टली रही. सवाल यह है कि क्या अब इंसाफ मिलेगा और क्या अतुल की अंतिम इच्छा पूरी की जा सकेगी.