आज वारदात की शुरूआत बच्चों से. मासूम किलकारियों को मुस्कुराहट देना किसी इबादत से कम नहीं. फिर हम तो बच्चों को यूं भी फरिश्ता मानते हैं. उनमें भगवान को देखते हैं. पर इन्हीं फरिश्ते, इन्हीं भगवान के साथ क्या कुछ हो रहा है इसकी एक झलक रांची में देखने को मिली.