दूसरे के लिए जीना इंसानियत की सबसे बड़ी पहचान है. खुद के लिए तो जानवर भी जीते हैं. लेकिन जो मनुष्य दूसरों के लिए अपनी सुख-सुविधाएं त्याग देता है, सही मायने में उसका जीवन ही धन्य होता है.