अपने कर्मों का फल हमें इस धरती पर ही मिलता है. बुरे कर्मों का बुरा और अच्छे कर्मों का अच्छा फल हमें यहीं हासिल हो जाता है. कई बार हम ईश्वर को ये दोष देते हैं कि हमें तो ईश्वर की ओर से कोई अच्छा फल नहीं मिलता, लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है. ईश्वर ने इंसानों को बहुत कुछ दिया है, लेकिन इंसान हैं कि उसके दिए को समझ ही नहीं पाते.इस धरती पर इंसानों को ईश्वर कुछ भी दे दे, लेकिन संतोष का धन उसे खुद ही कमाना पड़ता है, और वह अक्सर इसमें फेल हो जाता है. मैं भाग्य हूं की इस कड़ीं में देखें एक ऐसी कहानी, जिसके बाद आप ईश्वर को दोष देना बंद कर देंगे.